पिछले कुछ समय से जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। सरकार का कहना है कि वह अलग-अलग पृष्ठभूमि वाले जजों की नियुक्ति करना चाहती है ताकि सभी को जज के तौर पर नौकरी पाने का बराबर मौका मिले।
सरकार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से उन समूहों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने के लिए कह रही है जिनका न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व कम है, जैसे कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ-साथ महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों के लोग।
अल्पसंख्यक समुदाय के कितने जजों की नियुक्ति हुई ?
किरेन रिजिजू ने बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी के एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। सुशील कुमार मोदी ने पूछा था कि पिछले 5 साल में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के कितने जजों की नियुक्ति हुई है।
रिजिजू ने जवाब दिया कि पिछले 5 साल में 25 हाईकोर्ट में 554 जज नियुक्त किए गए हैं। इनमें 430 जज सामान्य वर्ग के हैं। 19 जज अनुसूचित जाति के हैं। 6 जज एसटी कैटेगरी के हैं और 58 जज ओबीसी समुदाय के हैं। साथ ही अल्पसंख्यक वर्ग के 27 जज भी नियुक्त किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में 7 ओपन जजशिप पद
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट में 84 महिला न्यायाधीश हैं, और उनमें से 27 वर्तमान में वहां काम कर रही हैं। कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 7 ओपन जजशिप पद हैं और इन जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिश की गई है।
हालाँकि, भारत के 25 उच्च न्यायालयों में अभी भी न्यायाधीशों के कई पद रिक्त हैं। उच्च न्यायालयों में कुल 1108 न्यायाधीश पदों में से 333 अभी भी रिक्त हैं। कानून मंत्री ने कहा कि 142 प्रस्ताव उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा भेजे गए हैं और वर्तमान में उन पर चर्चा की जा रही है।