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किसान आंदोलन : गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की घटनाओं के पीछे ‘‘साजिश’’ की जांच विशेष प्रकोष्ठ करेगा

दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर शहर में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में किसान नेताओं के खिलाफ बृहस्पतिवार को ‘लुक आउट’ नोटिस जारी किया और यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया।

दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर शहर में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में किसान नेताओं के खिलाफ बृहस्पतिवार को ‘लुक आउट’ नोटिस जारी किया और यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया।
इसके साथ ही अपनी जांच तेज करते हुए पुलिस ने लाल किले पर हुई हिंसा के संबंध में राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे ‘‘साजिश’’ और ‘‘आपराधिक मंसूबों’’ की जांच उसका विशेष प्रकोष्ठ करेगा। 
वहीं दूसरी ओर गाजियाबाद प्रशासन ने प्रदर्शनकारी किसानों को बृहस्पतिवार आधी रात तक यूपी गेट खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। 
दिल्ली की सीमा से लगे यूपी गेट पर टकराव की स्थिति के बीच भारी संख्या में सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। वहीं प्रदर्शन स्थल पर शाम में कई बार बिजली कटौती देखी गयी जहां राकेश टिकैत के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्य 28 नवंबर से डटे हुए हैं। 
बीकेयू के प्रवक्ता टिकैत अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने कहा, ‘‘मैं आत्महत्या कर लूंगा लेकिन जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक आंदोलन समाप्त नहीं करूंगा।’’ 
अपनी जान को खतरा होने का दावा करते हुए उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रदर्शन स्थल पर सशस्त्र गुंडों को भेजा गया था। 
टिकैत ने कहा, ‘‘गाजीपुर की सीमा पर कोई हिंसा नहीं हुई है लेकिन इसके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार दमन की नीति का सहारा ले रही है। यह उत्तर प्रदेश सरकार का चेहरा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।’’ 
जिले के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने यूपी गेट पर डेरा डाले प्रदर्शनकारियों से संवाद किया और उन्हें रात तक प्रदर्शनस्थल खाली करने को कहा। ऐसा नहीं करने पर प्रशासन उन्हें हटा देगा। 
बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने इस कदम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस की निंदा की। 
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने लाल किला की सुरक्षा भी बढ़ा दी है। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ ट्रैक्टर परेड के दौरान कई स्थानों पर दिल्ली में किसानों की पुलिस के साथ भिड़ंत हुयी थी। सिंघू और टीकरी बॉर्डर से तय मार्ग पर परेड निकालने के बजाए प्रदर्शनकारी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में दाखिल हो गए थे। 
दिल्ली पुलिस का विशेष प्रकोष्ठ 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की ”साजिश” और ”आपराधिक मंसूबों” की जांच करेगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 
दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि किसान नेताओं के साथ बनी सहमति को दरकिनार करने की ”पूर्व नियोजित” तथा ”सोची-समझी” योजना थी ताकि गणतंत्र दिवस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार को शर्मिंदा कराया जा सके।
एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले, आईटीओ, नांगलोई मोड़ और छह अन्य स्थानों पर हुई हिंसा से संबंधित मामलों की जांच करेगी। 
उन्होंने बताया कि एसीपी रैंक का एक अधिकारी प्रत्येक टीम का नेतृत्व करेगा और नौ मामलों की जांच करेगा और कई अधिकारी उनकी मदद करेंगे। 
अधिकारी ने कहा कि पुलिस 26 जनवरी को हुई हिंसा के संबंध में अब तक 33 प्राथमिकियां दर्ज कर चुकी है। 
उन्होंने कहा कि 44 लोगों के खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी किये गये है। 
एक दिन पहले दिल्ली के पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने कहा था कि हिंसा में शामिल किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को पुलिस मुख्यालय में विशेष पुलिस आयुक्त (खुफिया) और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। 
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि हिंसा के पीछे साजिश थी। हिंसक घटनाओं में 394 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी। 
श्रीवास्तव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के मामले में दर्ज प्राथमिकी में नामजद किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है।’’ 
पुलिस ने प्राथमिकी में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर समेत 37 किसान नेताओं के नाम दर्ज किए हैं। इस प्राथमिकी में हत्या की कोशिश, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं। 
इस बीच सिंघू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने ‘‘सद्भावना मार्च’’ निकाला। 
राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी समेत कई किसान नेताओं ने मार्च का नेतृत्व किया और कहा कि मार्च का आयोजन प्रदर्शनकारी किसानों को बांटने का प्रयास कर रही ताकतों का मुकाबला’’ करने और यह दिखाने के लिए किया गया है कि वे तिरंगे का सम्मान करते हैं। 
केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान यूनियनों की ट्रैक्टर परेड के दौरान 26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों की पुलिस के साथ झड़प हो गई थी। कई प्रदर्शनकारी लाल किले पहुंच गये थे। 
पुलिस ने एक बयान में कहा, ”विशेष प्रकोष्ठ 26 जनवरी को हुईं दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की साजिश और आपराधिक मंसूबों की जांच कर रहा है।” 
बयान में कहा गया है, ”प्रारंभिक जांच में पता चला है कि सुरक्षा बलों से हिंसक झड़प करने, ऐतिहासिक धरोहर की पवित्रता को तार-तार करने और गणतंत्र दिवस के मौके पर सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा कराने के लिये दिल्ली पुलिस तथा किसान संगठनों के बीच बनी सहमति को पूर्व नियोजित तथा सोची-समझी साजिश के तहत दरकिनार किया गया।” 
पुलिस ने कहा कि आपराधिक मामले दर्ज किये गए हैं और गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों तथा भारतीय दंड संहिता की राजद्रोह से संबंधित धाराओं के तहत जांच की जा रही है। 
गणतंत्र दिवस पर किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा की घटना के दो दिन बाद बृहस्पतिवार को दिल्ली के सिंघू बार्डर और टीकरी बार्डर पर स्थित प्रदर्शन स्थलों पर अपेक्षाकृत भीड़ कुछ कम दिखाई दी। 
सिंघू बार्डर पर गणतंत्र दिवस या इससे पहले की तुलना में बृहस्पतिवार को अपेक्षाकृत कम भीड़ नजर आई। यह एक प्रमुख प्रदर्शन स्थल रहा है जहां दो महीने से अधिक समय से हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान डेरा डाले हुए हैं। 
हालांकि, किसान संगठनों ने कहा है कि ऐसा इसलिए नजर आ रहा है कि 26 जनवरी की परेड में शामिल होने के लिए यहां आए लोग अपने-अपने घर लौट गये हैं। 

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