कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार (9 दिसंबर) को मिजोरम में पार्टी की हार की समीक्षा के लिए बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल, मिजोरम प्रभारी भक्त चरण दास, सचिन राव और कई अन्य लोग भी शामिल हुए। इस बैठक में कांग्रेस के नेताओं ने पूर्वोत्तर राज्य में पार्टी की हार के कारणों पर विचार-विमर्श किया।
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बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए भक्त चरण दास ने कहा, हमने मिजोरम पर समीक्षा बैठक की। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, वेणुगोपाल और मिजोरम के सभी नेता मौजूद थे। उन्होंने कहा, हमने हर पहलू पर चर्चा की। जमीनी स्तर और राज्य स्तर पर संगठन संरचना और विभिन्न घटनाक्रम हुए। सभी चीजों पर चर्चा की। भाजपा की मौजूदगी मिजोरम में बहुत कम है। एमएनएफ भाजपा के साथ सत्ता में थी।
मिजोरम के मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि मणिपुर के मुद्दों के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर का दौरा नहीं किया, इसलिए वह बैठक का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने अपना दृष्टिकोण बदल दिया और चुपचाप जेडपीएम की मदद की। दास ने कहा, "जेडपीएम चुपचाप अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के साथ शामिल हो गई। बीजेपी नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के लगातार दौरे से पता चला कि इसे भाजपा का समर्थन प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि इसी कारण हम हारे, लेकिन हम इससे निराश नहीं हैं। दास ने यह भी कहा कि भाजपा ने जेडपीएम के साथ मिजोरम में प्रवेश किया और यह राज्य के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने माना कि पार्टी पूर्वोत्तर में बीजेपी की पिछले दरवाजे से एंट्री के बारे में लोगों को बताने में नाकाम रही। लोगों ने जेडपीएम को वोट दिया और हमें उम्मीद है कि यह लोगों के लिए काम करेगा।
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