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जानिए क्यों देश में अब भी मास्क है जरूरी… स्वैच्छिक उपयोग को देना चाहिए बढ़ावा, विशेषज्ञों ने बताई वजह

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के नए एक्सई स्वरूप के मद्देनजर देश में मास्क के स्वैच्छिक उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के नए एक्सई स्वरूप के मद्देनजर देश में मास्क के स्वैच्छिक उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और यह कोरोना वायरस के सभी प्रकारों के खिलाफ सबसे प्रभावी उपाय है। दो साल से अधिक समय के बाद, महाराष्ट्र और दिल्ली में मास्क पहनने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर सार्वजनिक रूप से मास्क पहनना अनिवार्य था और इस नियम का पालन नहीं करने पर 2,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया गया।
कोरोना महामारी से बचाव के लिए मास्क का करें इस्तेमाल 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहली बार ब्रिटेन में पाए गए ओमीक्रॉन स्वरूप के एक नए संस्करण एक्सई के खिलाफ चेतावनी जारी की है और सुझाव दिया है कि यह अब तक कोविड​-19 के किसी भी वाहक की तुलना में अधिक संक्रमणकारी हो सकता है। एक्सई स्वरूप ओमीक्रॉन के दोनों उप-स्वरूपों – बीए.1 और बीए.2 – का संयोजन या पुनः संयोजन है।
भारत पर नए संस्करण के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर विशेषज्ञों ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सार्वजनिक रूप से मास्क के स्वैच्छिक उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। देश में ओमीक्रॉन की वजह से आई संक्रमण की लहर में फरवरी से गिरावट दर्ज की गई और तबसे देश में मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक्सई स्वरूप से संक्रमितों की नहीं की पुष्टि
गुजरात के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य में शनिवार को एक्सई स्वरूप का पहला मामला सामने आया जब अधिकारियों ने मुंबई के एक व्यक्ति से लिए गए नमूने के जीनोम अनुक्रमण परिणाम प्राप्त किए। इस व्यक्ति को 12 मार्च को वडोदरा की यात्रा के दौरान कोविड-19 जांच में संक्रमित पाया गया था। इससे पहले, मुंबई नागरिक निकाय के अधिकारियों ने कहा था कि फरवरी के अंत में दक्षिण अफ्रीका से आई एक महिला मार्च में कोविड संक्रमित पायी गई थी और वह एक्सई स्वरूप से संक्रमित है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
जानिए XE वेरिएंट की तरफ ही क्यों दिया गया ध्यान?
प्रख्यात विषाणु विज्ञानी टी जैकब जॉन ने कहा कि एक्सई का मतलब है कि पहले से ही एक्सए, एक्सबी, एक्ससी और एक्सडी मौजूद थे लेकिन उनमें से किसी पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने बताया, “एक्सई ने ध्यान आकर्षित किया क्योंकि यह ब्रिटेन में आम हो गया। इसमें ओमीक्रॉन के बीए.2 वंश की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक संचरण क्षमता थी। कई मीडिया कर्मी इसे समझ नहीं पाए और इसे बीए.2 की तुलना में 10 गुना अधिक संचरणीय समझ बैठे। इस प्रकार, एक्सई कुख्यात हो गया।’’
कोरोना से बचाव के आलावा भी हैं मास्क के कई फायदे 
जॉन ने कहा, “फरवरी के तीसरे सप्ताह तक ओमीक्रॉन लहर (मुख्य रूप से बीए.2) के घटने के बाद, इस एक वायरस की एक्सई के रूप में पुष्टि होने पर भी चिंता का कोई कारण नहीं था। हमारी रणनीति में किसी बदलाव की जरूरत नहीं है। कोविड नियंत्रण के अलावा मास्क के कई अन्य फायदे भी हैं। आम तौर पर स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।’’
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में प्रोफेसर और महामारी विज्ञान जीवनतंत्र के प्रमुख गिरिधर आर बाबू ने कहा कि एक्सई स्वरूप का पता चलने को निगरानी प्रणाली की ताकत के रूप में देखा जाना चाहिए। बाबू ने कहा कि यह चिंता की वजह वाला स्वरूप नहीं है। उनके मुताबिक, ओमीक्रॉन के लिए बरती जाने वाली सावधानियों को भारत में इसकी संप्रेषणीयता पर अधिक डेटा सामने आने से पहले जारी रखना चाहिए।
मास्क के स्वैच्छिक उपयोग को किया जाना चाहिए प्रोत्साहित 
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मास्क के स्वैच्छिक उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि यह सभी स्वरूपों के खिलाफ सबसे प्रभावी उपाय है। हालांकि, कोई जुर्माना नहीं होना चाहिए, और एक जनादेश के बजाय, विशेष रूप से बंद जगह में मास्क की उपलब्धता और मुफ्त वितरण सुनिश्चित करना चाहिए।”

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