कोलकाता : पश्चिम बंगाल में मुहर्रम पर भगवान दुर्गा की मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाने के मामले मे कोलकाता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार को फटकार लगाई है। कोलकाता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा, ‘कुछ भी गलत होने की आशंका के आधार पर धार्मिक मामलों पर बंदिश नहीं लगा सकते हैं।’ कोर्ट ने ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, ‘आपके पास अधिकार हैं, पर असीमित नहीं। आप सभी नागरिकों को बराबरी की नजरों से देखें।’ मालूम हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुहर्रम पर दुर्गा मूर्ति के विसर्जन पर रोक लगा दी थी। दरअसल इस साल भी पिछले साल की तरह ही मोहर्रम और दुर्गा पूजा मूर्ति विसर्जन एक ही दिन पड़ रहे हैं।
ममता के लिए न कानून बड़ा न हाई कोर्ट: बीजेपी
मुहर्रम पर दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक मामले में कोलकाता हाई कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी सीएम ममता बनर्जी को आढ़े हाथों लिया है। संबित पात्रा ने कहा, ‘ममता बनर्जी तुष्टिकरण की राजनीति से कब छोड़ेंगी। उन्हें मुस्लिम वोट बैंक की चिंता है, पर उन्हें पश्चिम बंगाल की संस्कृति से कोई मतलब नहीं है।’ उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी जिस तरह से पश्चिम बंगाल में सरकार चला रही हैं, मानो वह कानून और हाई कोर्ट से ऊपर हो गई हैं. ममता सरकार को पहले भी हाई कोर्ट ऐसे मामलों में फटकार मिलती रही है, पर ये आदतों से बाज नहीं आ रही हैं। इस मसले पर बुधवार को ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा आयोजकों, मुस्लिम समुदाय और अन्य धर्मों के नेताओं की एक बड़ी बैठक की। इसके बाद उन्होंने मूर्ति विसर्जन को लेकर जो कुछ आदेश जारी किए जिन्हें लेकर विवाद हो गया। बीजेपी ने इस पर कड़ा एतराज जताया। इसके बाद ममता ने अपने आदेश को लेकर ट्वीट किया।
बैठक में ममता बनर्जी ने कहा था कि चार दिन तक चलने वाले दुर्गा पूजा उत्सव की समाप्ति के बाद 30 सितंबर को होने वाले दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के लिए शाम 6 बजे तक की अनुमति दी जाएगी और इसके बाद यह सीधे 2 अक्टूबर को, मोहर्रम की समाप्ति के बाद, फिर से शुरू किया जा सकेगा. 1 अक्टूबर को मोहर्रम के चलते ताज़िए निकाले जाएंगे। उन्होंने कहा था- कुछ लोग धार्मिक आधार पर दिक्कत पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं. हर धर्म हमारा है। लेकिन यदि किसी पूजा पंडाल के पास से गुजरते हुए जुलूस के चलते समस्या हो सकती है तो इससे हम प्रभावित हो सकते हैं।
हालांकि जब ममता के आदेश को लेकर विवाद बढ़ा तो उन्होंने ट्वीटर पर सफाई दी कि ”मुहर्रम के दिन 24 घंटे की अवधि को छोड़कर, विसर्जन 2 , 3 और 4 अक्टूबर को हो सकता है।”
पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर मामला कोर्ट में गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि ये तुष्टीकरण की नीति है और राजनीति को धर्म से न जोड़े। कोर्ट ने पिछली साल ये भी कहा था कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था तब तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी।