सुप्रीम कोर्ट की अवमानना को लेकर कमीडियन कुणाल कामरा ने शुक्रवार को माफी मांगने से साफ इंकार कर दिया है। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कमरा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति दे दी है। दरअसल, रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद कमरा ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कई ट्वीट्स किए थे।
कामरा ने अपने ट्विटर पेज पर वेणुगोपाल और न्यायाधीशों को संबोधित एक बयान में कहा, ‘‘हाल ही में मैंने जो ट्वीट किए उन्हें कोर्ट की अवमानना की तरह माना गया है। मैंने जो ट्वीट किए वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राइम टाइम के लाउडस्पीकर (अर्नब गोस्वामी) के पक्ष में दिए गए अंतरिम फैसले के बारे में थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा दृष्टिकोण नहीं बदला है क्योंकि दूसरों की निजी स्वतंत्रता के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की खामोशी आलोचना के दायरे से बाहर नहीं रह सकती। अपने ट्वीट को हटाने या उसके लिए माफी मांगने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मेरा मानना है कि वे अपने लिए बोलते हैं।’’
इस साल की शुरुआत में इंडिगो की एक उड़ान में गोस्वामी से नोकझोंक के कारण कामरा पर कई विमान कंपनियों ने प्रतिबंध लगा दिया था। कामरा ने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही का भी जिक्र किया है। भूषण ने अपने ट्वीट के लिए न्यायालय से माफी मांगने से इनकार कर दिया था और उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया गया था।
कामरा ने कहा, ‘‘मेरी इच्छा है कि अन्य मामलों को छोड़कर मेरी अवमानना याचिका पर कम से कम 20 घंटे सुनवाई होनी चाहिए और यह मेरा सौभाग्य होगा कि मैं कतार से बाहर आ जाऊंगा।’’ कामरा ने कहा कि इसके बाद जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जा को खत्म किए जाने को चुनौती, चुनावी बांड की वैधता के मामले तथा ऐसे कई अनगिनत मामले जिन पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है, उनके बजाए हास्य कलाकारों और व्यंगकारों के मामले को अदालत के सामने सूचीबद्ध किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने मेरे ट्वीट पर अब तक कुछ नहीं कहा है लेकिन जब भी वे ऐसा करेंगे, कोर्ट की अवमानना घोषित करने के पहले उन्हें थोड़ी हंसी जरूरी आएगी।’’ वेणुगोपाल ने कहा था कि कामरा के ट्वीट बहुत आपत्तिजनक हैं और समय आ गया है कि लोग समझ लें कि सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाने पर सजा मिलेगी।
वेणुगोपाल ने कहा कि आज लोग मानते हैं वे अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल करते हुए ‘‘मुखरता और बेशर्मी ’’ से सुप्रीम कोर्ट और न्यायाधीशों की आलोचना कर सकते हैं लेकिन संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी अवमानना कानून के अधीन है। कामरा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष विधि अधिकारी से सहमति मांगी थी।
वेणुगोपाल ने एक याचिकाकर्ता को अपने पत्र में लिखा, ‘‘मैंने कुणाल कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति के संबंध में जिक्र किए गए ट्वीट पर गौर किया है। ये ट्वीट ना केवल बहुत आपत्तिजनक हैं बल्कि हास्यबोध और कोर्ट की अवमानना के बीच की रेखा को भी साफ तौर पर पार करते हैं। ’’
पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू करने पर अपनी सहमति दे रहा हूं।’’ अदालत की अवमानना कानून 1971 की धारा 15 के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की संस्तुति आवश्यक है।