केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि निर्वाचन आयोग द्वारा आवंटित या आरक्षित कोई चुनाव चिह्न धार्मिक या राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री किरन रिजीजू ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह बात बताई।उनसे यह पूछा गया था कि क्या किसी पंजीकृत राजनीतिक दल द्वारा राष्ट्रीय पक्षी, या राष्ट्रीय पशु या राष्ट्रीय पुष्प जैसे किसी राष्ट्रीय प्रतीक का चुनाव चिह्न के रूप में उपयोग किया जा सकता है।इस बारे में वैधानिक स्थिति स्पष्ट करने के लिए रिजीजू ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का हवाला दिया गया।उन्होंने इस अधिनियम की धारा 123 की उपधारा 3 का जिक्र करते हुए बताया कि किसी व्यक्ति के निर्वाचन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए धार्मिक प्रतीकों का उपयोग या उनकी दुहाई या राष्ट्रीय प्रतीक तथा राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीय संप्रतीक का उपयोग या दुहाई भ्रष्ट आचरण माना जाएगा।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक परंतु इस अधिनियम के अधीन किसी अभ्यर्थी को आवंटित कोई प्रतीक इस खंड के प्रयोजनों के लिए धार्मिक प्रतीक या राष्ट्रीय प्रतीक नहीं समझा जाएगा।रिजीजू ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने सूचित किया है कि निर्वाचन प्रतीक आदेश, 1968 के उपबंधों के अधीन निर्वाचन प्रतीक या तो राष्ट्रीय या राज्य मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए आरक्षित किए गए हैं या गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए आवंटित किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे यह स्पष्ट है कि कोई निर्वाचन प्रतीक, जो भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आवंटित या आरक्षित किया गया है, धार्मिक या राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में नहीं समझा जाएगा।’’यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार राष्ट्रीय प्रतीकों को दल के चिन्ह के रूप में उपयोग करने को वर्जित करने पर विचार करेगी, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन नहीं है।