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वामपंथी पार्टियों ने महंगाई के खिलाफ दिया संयुक्त बयान, केंद्र से की मांग- आवश्यक वस्तुओं की कीमतें करें नियंत्रित

वामपंथी दलों ने संयुक्त बयान जारी कर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को वापस लेने की मांग की है और सरकार से आवश्यक वस्तुओं एवं दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने का अनुरोध किया है।

वामपंथी दलों ने रविवार को संयुक्त बयान जारी कर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को वापस लेने की मांग की है और सरकार से आवश्यक वस्तुओं एवं दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने का अनुरोध किया है। संयुक्त बयान पर माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव देबब्रत बिस्वास, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य के हस्ताक्षर हैं। 
बयान में आरोप लगाया गया है कि सरकार कोविड-19 से उपजे स्वास्थ्य संकट से निपटने में लोगों की मदद करने के बजाय दो मई को विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद से कम से कम 21 बार पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत बढ़ा चुकी है। पार्टियों ने कहा कि इसकी वजह से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) 11 साल के उच्च स्तर पर पहुंचने के साथ मुद्रास्फीति बहुत अधिक बढ़ने की संभावना है। 
बयान में कहा गया है, ‘‘खाद्य पदार्थों की कीमतें अप्रैल में करीब पांच प्रतिशत बढ़ी हैं। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में 10.16 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और विनिर्मित उत्पादों में 9.01 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है और जब ये वस्तुएं खुदरा बाजार में पहुंचती हैं तो उपभोक्ताओं को इसके लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।’’
बयान के मुताबिक, ‘‘यह ऐसे वक्त हो रहा है जब अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है, बेरोजगारी बढ़ रही है और लोगों की क्रय क्षमता घट रही है। स्पष्ट है कि राज्यों के संरक्षण में बेतहाशा कालाबाजारी और जमाखोरी हो रही है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को निश्चित रूप से इस तरह की कालाबाजारी विशेषकर आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी पर सख्ती से लगाम लगाना चाहिए।’’
पार्टियों ने मांग की कि सरकार को आयकर भुगतान के दायरे से बाहर के परिवारों को छह महीने के लिए साढ़े सात हजार रुपये मासिक नकदी का अंतरण करना चाहिए। बयान में आगे कहा गया है कि पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के विस्तार के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा ‘‘पर्याप्त नहीं है और अत्यंत जरूरतमंद इसके दायरे से बाहर हैं।’’ योजना के तहत गरीबों को दिवाली तक हर महीने पांच किलोग्राम अनाज दिया जायेगा। पार्टियों ने इसके तहत हर व्यक्ति को दाल, खाद्य तेल, चीनी, मसाले, चाय और अन्य जरूरी सामग्री के पैकेट के साथ 10 किलोग्राम खाद्य सामग्री मुफ्त में देने की मांग की।

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