वैश्विक महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बताए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को चौथी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई घोषणाएं की। इस बीच, देश के प्रमुख वामपंथी दलों ने आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त को लेकर शनिवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार कोविड-19 की महामारी का इस्तेमाल देश की सार्वजनिक संपत्तियों के निजीकरण के लिए कर रही है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, ‘‘लॉकडाउन और महामारी का इस्तेमाल पूंजीपतियों के एजेंडे को थोपने और मोटा मुनाफा कमाने के लिए करना अमानवीय है। राष्ट्रीय संपत्तियों को लूटने से आत्म निर्भरता खत्म हो जाती है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि उसने देश के स्वास्थ्य ढांचे में सुधार के लिए लॉकडाउन की अवधि का किस तरह से इस्तेमाल किया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो घोषणाएं की, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ निजीकरण एवं निगमीकरण है। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना संकट से निपटने में विफल रहने के बाद सरकार निजीकरण और निगमीकरण को प्रोत्साहन दे रही है। यह बहुत दुखद है। यह विडंबना है कि एक तरफ वे आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ पूरी अर्थव्यवस्था को निजी हाथों में सौंप रहे हैं।’’
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त की जारी करते हुए खनिजों के खनन के क्षेत्र में कई सुधारों समेत विभिन्न घोषणाएं कीं। उन्होंने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का ऐलान किया। वित्त मंत्री ने कहा कि बेहतर प्रबंधन के लिए आयुध कारखाना बोर्ड को कंपनी बनाया जाएगा। बाद में इसे शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया जाएगा।