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वाम दल ने मोदी सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज को बताया आंकड़ों का मायाजाल

वाम दल ने सरकार के इस पैकेज को भ्रमित करने वाला और आंकड़ों का मायाजाल बताया। वामदलों ने यह हमला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की पांचवीं किस्त की घोषणा करने के महज कुछ घंटों बाद किया।

कोविड-19 से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बताए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को पांचवी और अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वित्त मंत्री ने पैकेज की पांचवी किस्त के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वाम दल ने सरकार के इस पैकेज को भ्रमित करने वाला और आंकड़ों का मायाजाल बताया।  वामदलों ने यह हमला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की पांचवीं किस्त की घोषणा करने के महज कुछ घंटों बाद किया।
वित्त मंत्री ने मनरेगा योजना के लिए बजट में आवंटित 61 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की है ताकि अपने-अपने राज्यों को लौट रहे कामगारों को रोजगार मुहैया कराया जा सके। सीतारमण के मुताबिक इस राशि से 300 करोड़ कार्यदिवस सृजित होंगे। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कई ट्वीट कर कहा कि वित्तमंत्री ने राज्यों के ऋण लेने की सीमा को तीन प्रतिशत से बढ़कार पांच प्रतिशत करने के साथ यह कहकर माखौल उड़ाया कि उन्होंने अबतक ऋण सीमा का केवल 14 प्रतिशत ही उपयोग किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह भ्रामक है, केंद्र द्वारा संवैधानिक व्यवस्था के तहत राज्यों को हस्तांतरित की जाने वाली राशि और भारतीय रिजर्व बैंक का साधन बढ़ाने के फैसले को मोदी सरकार राज्यों को दी गई मदद के रूप में दिखा रही।’’ येचुरी ने कहा कि रिजर्व बैंक को राज्य सरकार द्वारा जारी बांड को रेपो रेट पर हासिल करने, ऋण लेने की लागत को कम करने के उपाय करने चाहिए। 
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार गत पांच दिनों से आंकड़ों का मायाजाल दिखा रही है और इस भारी संकट में गरीबों और असुरक्षित लोगों की मदद के लिए कुछ नहीं कर रही है। मोदी सरकार सभी जगहों से दिखाई दे रही तस्वीरों और खबरों से आंखें फेर चुकी है और उसकी प्राथमिकता प्रचार और कारोबारियों से साठगांठ को लेकर है।’’
भाकपा के महासचिव डी राजा ने पूछा कि क्या वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था को बेच कर आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘महामारी से लड़ने के नाम पर इस सरकार ने आक्रमक रूप से नव उदारवादी आर्थिक एजेंडे को लागू किया है। कृषि से लेकर सभी क्षेत्रों में वे कॉरपोरेटाइजेशन के बारे में बात करते हैं, यहां तक की रक्षा, कोयला और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी। ये रणनीतिक क्षेत्र हैं और संसद का सत्र नहीं चल रहा है। वे इस संकट का इस्तेमाल इन नीतियों को आगे बढ़ाने में कर रहे है।’’

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