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IT की तरह अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भारतीय प्रतिभाएं विश्वस्तरीय ख्याति हासिल कर सकती हैं : PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के विस्तार के फैसले से इस क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की नयी शुरुआत हुई है। साथ ही उन्होंने यह उम्मीद जताई कि सूचना और प्रौद्योगिकी की तरह भारतीय प्रतिभाएं अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल कर सकती हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के विस्तार के फैसले से इस क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की नयी शुरुआत हुई है। साथ ही उन्होंने यह उम्मीद जताई कि सूचना और प्रौद्योगिकी की तरह भारतीय प्रतिभाएं अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल कर सकती हैं।
अंतरिक्ष क्षेत्र के प्रमुख उद्योगों, स्टार्टअप्स और शिक्षा क्षेत्र की अंतरिक्ष गतिविधियों में भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि व्यावसायिकता और नीतियों में पारदर्शिता के साथ-साथ सरकार के फैसले लेने की प्रक्रिया अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ने वाली कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित होगी। 
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जून, 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने और अंतरिक्ष गतिविधियों में भारत के निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम बनाने का फैसला किया था। 
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने सभी प्रतिभागियों को इस दिशा में सरकार की तरफ से पूर्ण और दिल से समर्थन देने का भरोसा दिलाया। 
उन्होंने प्रतिभागियों को भरोसा दिलाया कि वे अंतरिक्ष अनुसंधान के इस दौर में इसरो के साथ सहयात्री के रूप में काम करेंगे और देश अंतरिक्ष संपदाओं के विनिर्माण केन्द्र के रूप में सामने आएगा। 
संचार और नौपरिवहन में अंतरिक्ष क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की संभावनाओं के विस्तार के फैसले से इस क्षेत्र में नई पीढ़ी की सार्वजनिक-निजी भागीदारी की शुरुआत हुई है।’’
कंपनियों की रॉकेट और उपग्रह बनाने की योजना पर विचार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक बड़ा बदलाव है और इससे भविष्य में अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की स्थिति और मजबूत होगी। 
उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र में निजी निवेश से उच्च तकनीक में कुशल लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिससे आईआईटी, एनआईटी और अन्य तकनीक संस्थानों की प्रतिभाओं को व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे। 
पीएमओ के बयान के मुताबिक मोदी ने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि जिस तरह से भारतीय प्रतिभाएं विश्व स्तर पर आईटी सेक्टर में ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं, वैसे ही अंतरिक्ष क्षेत्र में वे ऐसा करने में सक्षम हो जाएंगी।’’ 
प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार सिर्फ कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने तक सीमित नहीं है बल्कि परीक्षण सुविधाओं और लॉन्चपैड्स की उपलब्धता सहित हर चरण में प्रतिभागियों के लिए सहायता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तंत्र लागू कर दिया गया है। 
उन्होंने कहा, ‘‘इन सुधारों के माध्यम से, सिर्फ भारत को एक प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष बाजार बनाने का ही प्रयास नहीं किया गया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष कार्यक्रम का लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति को भी हासिल हो।’’ 
उन्होंने प्रतिभागियों से समाज और देश के हित के लिए निडर होकर सोचने और काम करने के लिए कहा। 
संवाद के दौरान अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के सचिव और इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने प्रधानमंत्री को इन-स्पेस से स्वीकृति हासिल करने के लिए उद्योग से मिले विभिन्न प्रस्तावों और अंतरिक्ष विभाग से मिले समर्थन के बारे में बताया। 
उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष गतिविधियों के संचालन के लिए 25 से ज्यादा उद्योग पहले ही डीओएस से संपर्क कर चुके हैं। 
चर्चा के दौरान भारती एंटरप्राइजेज के सुनील भारती मित्तल, लार्सन एंड टुब्रो लि. के जयंत पाटिल, अग्निकुल कॉस्मस प्रा. लि. के श्रीनाथ रविचंद्रन, स्काईरूट एयरोस्पेस लि. के पवन कुमार चंदाना, अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज प्रा. लि. के कर्नल एच एस शंकर, मैपमाइइंडिया के राकेश वर्मा, पिक्सल इंडिया के अवैस अहमद और स्पेस किड्ज इंडिया की श्रीमाथी केसन ने अपने विचार व्यक्त किए। 
बयान में कहा गया कि इन सभी वक्ताओं ने निजी भागीदारी के लिए क्षेत्र को खोलने के कदम के लिए प्रधानमंत्री का आभार प्रकट किया और साथ ही कहा कि इससे भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक महाशक्ति बनने में सहायता मिलेगी। 
प्रतिभागियों ने आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक सक्रिय भागीदार के रूप में काम करने के लिए संकल्प जाहिर किया। 
उन्होंने कहा कि इसरो के साथ निजी एजेंसियों की भागीदारी के परिणाम स्वरूप प्रति वर्ष न सिर्फ ज्यादा रॉकेट प्रक्षेपित किए जा सकेंगे, बल्कि इससे रॉकेट इंजनों के विकास में नई तकनीक विकास भी आकार लेंगे। 
प्रतिभागयों ने बच्चों को इस क्षेत्र की तरफ आकर्षित करने को उनके लिए इसरो के केन्द्रों को खोले जाने का भी सुझाव दिया है। 

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