श्योपुर : युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की मंशा से संचालित मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में अब लोन की सीमा 1 करोड़ से बढाकर 2 करोड़ कर दी गई है। ताकि युवा बडे़ उद्योग स्थापित कर सकें। खास बात यह है कि लोन अधिक मिलने पर सरकार संबंधित उद्यमी को सब्सिडी भी अधिक देगी। लेकिन इस योजना का लाभ पूर्व से संचालित उद्योग वाले को नहीं मिलेगा। अब जिले के युवाओं को उद्योग स्थापित करने के लिए दोगुना लोन मिलेगा।
प्रदेश के सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग विभाग(एमएसएमई)ने इसकी सीमा बढाकर 2 करोड़ कर दी है। जबकि अभी तक 1 करोड़ का लोन दिया जाता था। इसके साथ ही सब्सिडी की सीमा भी बढ़ा दी है। इससे जिले में हर साल 25 उद्योग का आकार बढे़गा। जिले में उद्योग स्थापित करने के लिए हर साल 25 युवाओं को मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के अन्तर्गत ऋण दिया जाता है। जबकि पांच सैकडा से अधिक बेरोजगारों को विभिन्न योजनाओं में लोन प्रदान किया जाता है।
यह बात अलग है कि बैंकें अपने हिसाब से बेरोजगारों का लोन पास करती हैं। प्रदेश के युवाओं को राज्य सरकार अब गैर शासकीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मुहैया करवाने की तैयारी में है। जबकि उद्योग स्थापित करने के लिए युवा उद्यमी योजना के तहत सरकार पांच साल तक लोन का ब्याज भरेगी। उद्योग विभाग के अधिकारियों की मानें तो इससे युवा अपने उद्योग को व्यापक रूप दे सकेंगे। सबसे बडी बात तो यह है कि इस लोन पर सब्सिडी की भी सीमा बढाई गई है,
ताकि युवाओं पर ज्यादा भार न पड सके। इस बार उद्योग लगाने वाले युवाओं को पहले से ज्यादा सब्सिडी मिलेगी। युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए एमएसएमई विभाग मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत लोन देता है।10 वीं पास और 18 से 40 साल के युवाओं को उद्योग शुरू करने के लिए इसमें लोन प्रदान किया जाता है। पहले योजना में 1 करोड लोन दिया जाता था। अब इसकी सीमा बढाकर 2 करोड कर दी गई है। इसमें 15 से 20 फीसदी की सब्सिडी दी जाती है।
यह अलग-अलग केटेगरी में दी जाती है। इसके लिए युवाओं को उद्योग विभाग में आवेदन करना होगा। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में किस युवा को कौन सा उद्योग शुरू करना है। इसकी डिटेल आवेदन के साथ देनी होगी। इसके बाद आवेदन को टॉस्क फोर्स कमेटी की बैठक में रखा जाएगा। तब लोन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। युवाओं को बैंकों में किश्तों में राशि चुकानी होगी। योजना का दायरा बढने से युवाओं को ज्यादा लाभ मिलेगा और वे बडे उद्योग शुरू कर सकेंगे।
भले ही उद्योग विभाग लक्ष्य के अनुरूप ऋण संबंधी आवेदनों को स्वीकृति प्रदान करते हुए विभिन्न बैंकों में भेज देता हो,लेकिन बेरोजगार की असली परीक्षा बैंक में ही शुरू होती है। जरूरतमंद को बैंक प्रबंधन लोन के लिए इतने चक्कर कटवाता है,जितने उसने जिंदगी में किसी काम के लिए नहीं काटे होंगे। जब तक भेंटपूजा नहीं होती,तब तक बैंकें कोई काम आगे नहीं बढाती हैं।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें।