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विपक्ष के हंगामे को लेकर लोकसभा की कार्यवाही 4 बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा लोकसभा में हंगामा किये जाने के कारण सदन की कार्यवाही चार बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष और सरकार के बीच लोकसभा में सोमवार को भी गतिरोध जारी है। पेगासस जासूसी विवाद, केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानूनों तथा अन्य मुद्दों पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा लोकसभा में हंगामा किये जाने के कारण सदन की कार्यवाही चार बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सदन ने ‘सीमित दायित्व भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021’, ‘निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021’ और ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी प्रदान की।सरकार ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जा रहे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ को भी आज ही पेश किया। इसके साथ ही, केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने ‘राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021’ और ‘राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021’ भी पेश किये।
सोमवार सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के 79 वर्ष पूरे होने का उल्लेख किया और कहा कि यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ‘करो या मरो’ के नारे के साथ यह जन आंदोलन बन गया और अंग्रेजी दासता से मुक्त होने के लिये पूरा देश एकजुट हुआ। बिरला ने कहा कि हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर अमृत महोत्सव मना रहे हैं जो अगले वर्ष तक चलेगा। उन्होंने कहा कि हम एकजुट होकर देश की सम्प्रभुता एवं अखंडता को बनाये रखने के लिये मिलकर काम करें। सदन ने कुछ पल मौन रहकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
लोकसभा अध्यक्ष ने सदन में तोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इससे देश में उमंग का वातावरण है। उन्होंने कुश्ती में बजरंग पूनिया द्वारा कांस्य पदक जीतने का भी उल्लेख किया। बिरला ने अपनी और सदन की ओर से खिलाड़ियों को बधाई दी। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने को कहा, वैसे ही कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने आसन के समीप आकर नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान सदन में एक प्रश्न लिया गया। लेकिन विपक्षी दलों का शोर-शराबा जारी रहा। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ प्रश्नकाल महत्वपूर्ण समय होता है। आप (विपक्ष) प्रश्नकाल में जनता से जुड़े सवाल पूछें और सरकार की जवाबदेही तय करें।’’
उन्होंने कहा कि वह जनता से जुड़े विषयों पर चर्चा कराना चाहते हें लेकिन आप (विपक्ष) चर्चा को तैयार नहीं हैं। यह गलत है। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब पांच मिनट बाद 11:30 बजे तक के लिये स्थगित कर दी। कार्यवाही पुन: शुरू हुई तो पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने प्रश्नकाल शुरू कराया। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक पूरक प्रश्न का उत्तर भी दिया। हालांकि हंगामा जारी रहने पर सभापति ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी। दो बार के स्थगन के बाद बैठक पुन: शुरू हुई तो पीठासीन सभापति अग्रवाल ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने ‘राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021’ और ‘राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021’ भी पेश किये।
सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने हंगामे के बीच विधेयकों को पेश किये जाने का विरोध किया और कहा कि यह संविधान तथा सदन के नियमों की अवहेलना है।
इसी बीच सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पेश किया। इस दौरान कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज सभी विपक्षी दलों ने बैठक की और निर्णय लिया कि उक्त विधेयक पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण से संबंधित इस विधेयक को पारित कराना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम विपक्ष की जिम्मेदारी समझते हैं। सभी विपक्षी दलों ने फैसला किया कि इस पर चर्चा कराके पारित कराया जाना चाहिए। इस विधेयक के साथ देश के पिछड़े वर्ग का संबंध है।’’चौधरी ने कहा कि इससे पहले जब संविधान संशोधन लाया गया था तो हमने कहा था कि प्रदेशों के अधिकारों का हनन नहीं किया जाए। लेकिन ‘बहुमत के बाहुबल’ से सरकार हमारी बात नहीं सुनती। उन्होंने कहा कि लेकिन आज जब हिंदुस्तान के आम लोग, अन्य पिछड़ा वर्ग के लेागों ने आंदोलन किया तो उनके डर से सरकार को यह विधेयक लाना पड़ा। इस दौरान सदन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उपस्थित थीं।
मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष का विरोध राजनीतिक है। उन्होंने विधेयक के संबंध में कहा कि विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्री भी लगातार इसे लाने की मांग कर रहे हैं। पीठासीन सभापति ने इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 12:30 बजे तक स्थगित कर दी। कार्यवाही फिर से आरंभ होने के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। हंगामे के बीच ही लोकसभा ने ‘सीमित दायित्व भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021’, ‘निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021’ और ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021’ को ध्वनिमत से मंजूरी दी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और कई अन्य विपक्षी नेताओं ने हंगामे के बीच विधेयक पारित कराने का विरोध किया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है और यही वजह है कि कोविड का मुद्दा चर्चा के लिए सूचीबद्ध है।
सदन में हंगामे को देखते हुए पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने दोपहर करीब 12 बजकर 45 मिनट पर कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद दो बजे कार्यवाही पुन: शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। इस पर पीठासीन सभापति रमा देवी ने विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘‘ आपसे आग्रह है कि आप अपनी सीट पर जाइए क्योंकि कोविड पर चर्चा होनी है। यह महत्वपूर्ण है।’’ सदन में नारेबाजी जारी रहने पर रमा देवी ने कुछ मिनट के भीतर ही कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। अब सदन की बैठक मंगलवार सुबह 11 बजे शुरू होगी।पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से लोकसभा में गतिरोध बना हुआ है। 19 जुलाई से मॉनसून सत्र आरंभ हुआ था। लेकिन, अब तक सदन की कार्यवाही बाधित रही है। सत्र का समापन 13 अगस्त को होना निर्धारित है।
हंगामे के बीच ही सरकार ने सदन में अनेक विधेयक को पारित कराया है तथा पेश किया है। कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दल पेगासस जासूसी मामले पर चर्चा कराने पर अड़े हैं, वहीं सरकार बार-बार कह रही है कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस विषय पर संसद में दिये गये बयान के बाद यह कोई विषय ही नहीं है। सरकार ने कहा है कि वह कोविड, किसानों के मुद्दे समेत अन्य विषयों पर चर्चा के लिए तैयार है।

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