लोकसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को 6 महीने के लिए आगे बढ़ाने की मंजूरी दे गई है। राष्ट्रपति शासन 3 जुलाई से फिर से लागू हो जाएगा। प्रस्ताव पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि राज्य में राज्यपाल शासन एवं राष्ट्रपति शासन के दौरान एक साल में पहली बार आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनायी गयी है और सरकार आतंकवाद का जड़ से सफाया करने में कोई कसर नहीं छोड़गी। ‘
उन्होंने कहा कि इस साल के उत्तरार्द्ध में जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराये जाएंगे। सरहद की सुरक्षा एवं जनता का कल्याण जम्मू-कश्मीर के लिए सरकार के प्रमुख लक्ष्य हैं। अमित शाह ने रक्षा मंत्री एवं पिछली सरकार में गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि राजनाथ सिंह ने राज्य की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जो भी फैसले लिये थे, उन्हें उनकी निर्धारित समयसीमा में पूरा किया जाएगा।
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गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ने के लिए पेश सांविधिक संकल्प और जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम में संशोधन करने वाले विधेयक पर एक साथ हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य में आतंकवाद अंतिम दौर है और सुरक्षा की स्थिति अनुकूल है इसलिए आयोग जब चाहे जम्मू कश्मीर विधानसभा के निष्पक्ष चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर सकता है।
इसके साथ ही सदन ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह माह और बढाने तथा जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि तीन जुलाई को समाप्त हो रही थी लेकिन इस संकल्प के पारित होने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि तीन जुलाई से छह माह के लिए और बढ जाएगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने राज्य में पंच और सरपंचों के 40 हजार पदों के लिए चार हजार से ज्यादा गांवों में शांतिपूर्ण चुनाव कराए हैं और कहीं कोई हिंसा नहीं हुई है। इससे साफ है कि वहां व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है और इस व्यवस्था में राज्य विधानसभा के चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से कराए जा सकते हैं।
लोकसभा के साथ राज्य विधानसभा के चुनाव नहीं कराए जाने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि लोकसभा की सिर्फ छह सीटें हैं और विधान सभा की इसकी तुलना में बहुत अधिक सीटें हैं इसलिए सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए वहां एक साथ चुनाव नहीं कराए गए लेकिन अब लोकसभा के चुनाव पूरे होने के बाद आयोग जब चाहे वहां विधानसभा चुनाव की तारीख तय कर सकता है।