संविधान दिवस के मौके पर संसद में आयोजित कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि, जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि, वे लोकतांत्रिक संस्थाओं में मर्यादित एवं गरिमापूर्ण आचरण करें तथा देश एवं राष्ट्र हित में सामूहिकता के साथ काम करें ताकि आम लोगों के जीवन में सार्थक बदलाव आ सके। उन्होंने कहा, संसद में हम देश की 135 करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं और संसद के अन्दर होने वाली चर्चा से जो अमृत निकलेगा, उससे ही आमजन के जीवन में सार्थक बदलाव संभव है। संसद का शीतकालीन सत्र कुछ ही दिनों में प्रारंभ होने वाला है।
72 वर्ष पहले आज ही के दिन अंगीकार हुआ था संविधान
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, जनप्रतिनिधि होने के नाते यह हमारा दायित्व है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में मर्यादित और गरिमापूर्ण आचरण करें। संसद की मर्यादाओं और उच्च गरिमापूर्ण परम्पराओं को कायम रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। बिरला ने कहा कि, हमें अच्छी परम्पराओं और परिपाटियों को और सशक्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ मनाते हुए हम अपने कर्तव्यों और दायित्वों के निर्वहन का संकल्प लें। अध्यक्ष ने कहा कि, 72 वर्ष पहले आज के ही दिन हमारे देश का संविधान अंगीकार हुआ था और हमारे देश ने शांति, प्रगति और समानता के संकल्प के साथ विकास यात्रा शुरू की थी।
संविधान हमारे आदर्शों का पवित्र ग्रंथ है
अध्यक्ष ने कहा कि, संविधान हमारे सांस्कृतिक विकास, हमारी महान सांस्कृतिक विरासत और आदर्शों का पवित्र ग्रंथ है। यह हमारे अधिकारों का स्रोत है, जो हमें दायित्वों का भी बोध कराता है। उन्होंने कहा कि, संविधान एक भावना है जो हमें जोड़ने की ताकत देती है तथा जनता की आशाओं, अपेक्षाओं और उम्मीदों को पूर्ण करने का मार्ग दिखाती है। उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का दस्तावेज है और ऐसे अद्भुत संविधान का निर्माण करने वाले हमारे संविधान मनीषियों को नमन करते हैं। संविधान दिवस पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सांसद एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे ।