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मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सीएम के नाम की घोषणा कर सभी को चौंका दिया। जिन नेताओं के नाम सीएम की रेस में थे, उससे उलट पूर्व शिक्षा मंत्री मोहन यादव को राज्य की कमान सौंपी गई। उनका नाम कहीं चर्चा में नहीं था। मोहन यादव (Mohan Yadav) को सीएम बनाकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने दिग्गज नेताओं को यह भी संदेश दिया कि वह किसी भी चीज को हल्के में न लें।
आपको बता दें बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए मध्य प्रदेश में एक ओबीसी चेहरे को ही सीएम बनाएगी। पार्टी ने ऐसा किया भी लेकिन मोहन यादव के नाम की उम्मीद किसी को न थी। इसी के साथ ही राज्य की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान की लगभग दो दशक की प्रधानता खत्म हो गई। पार्टी ने दलित समुदाय से आने वाले जगदीश देवड़ा और विंध्य क्षेत्र के ब्राह्मण राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम का पद सौंपा है, जबकि नरेंद्र तोमर जिन्होंने राज्य चुनाव लड़ने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री का पद छोड़ दिया था वह अब विधानसभा के अध्यक्ष होंगे।
आपको बता दें हिंदी प्रदेशों में जातिगत वोटों की भूमिका अहम रहती है। ऐसे में बीजेपी ने मोहन यादव को मध्य प्रदेश की कमान देकर ओबीसी वोटरों को संदेश देना चाह रही है। आंकड़ों में हिंदी प्रदेशों यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा की बात करें तो यहां ओबीसी मतदाता चुनाव की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। साथ ही बीजेपी ने मोहन यादव के जरिए उत्तर प्रदेश और बिहार में क्रमश: अखिलेश यादव और लालू यादव के वोटर्स में सेंध लगाने की कोशिश की है। उधर, मध्य प्रदेश के लंबे समय तक सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान को इस बार यह जिम्मेदारी नहीं दी, लेकिन उन्होंने ओबीसी नेता को ही सीएम बनाया। बता दें कि शिवराज सिंह भी ओबीसी समाज से आते हैं।
तो उधर, बीजेपी में पीढ़ी का बदलाव देखने को मिला और एक तरह से वह सेकंड लाइन का नेतृत्व तैयार करती हुई दिख रही है। इसलिए जो नेता पहले कैबिनेट का हिस्सा थे उन्हें आगे लाकर सीएम बनाया गया है। मोहन यादव की बात करें तो वह संघ से जुड़े रहे हैं और राजनीतिक करियर की शुरुआत ही एबीवीपी से की है, जबकि शिवराज सिंह सरकार में मंत्री रहने के कारण उनके पास शासन का भी अनुभव है। दोनों हाथों से तलवार लहराने में माहिर मोहन यादव का उज्जैन में काफी दबदबा है।