मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव में अब कुछ ही दिन बच्चा है। इस बीच कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के बीच बढ़ती दूरी ने पार्टी हाई कमान को भी चिंता में डाल दिया है। यही कारण है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को मध्यस्थता की पहल करना पड़ी है। यह बात अलग है कि दोनों दिग्गज नेता आपसी समन्वय होने का दावा कर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रहे हैं।
दरअसल, Madhya Pradesh में Congress में हुए टिकट वितरण को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच दूरियां बढ़ने की लगातार खबरें सामने आती रहीं हैं। बीच में दिग्विजय सिंह की सक्रियता में आई कमी को इसी से जोड़कर देखा गया।
सियासी गलियारों में चर्चा तो यहां तक है कि दिग्विजय सिंह की पसंद के कुछ उम्मीदवारों को टिकट देने में कमलनाथ ने बाधा खड़ी की। यह बातें यूं ही सामने नहीं आई है, क्योंकि कुछ मामले ऐसे हैं जो घोषित तौर पर दिग्विजय सिंह के समर्थकों में गिने जाते हैं और वे कई वर्षों से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। मगर उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो वहीं दूसरी ओर दिग्विजय सिंह ने अपने राजनीतिक रसूख का उपयोग कर कई दावेदारों के टिकट कटवाए।
दोनों के बीच दूरियां बढ़ने की बात को तब बल मिला था जब कमलनाथ ने टिकट वितरण से नाराज लोगों से दिग्विजय सिंह और उनके पुत्र जयवर्धन के कपड़े फाड़ने की बात कही थी। बाद में इस पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच मंच पर भी वार्तालाप हुआ था।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी हाई कमान तक दोनों नेताओं के बीच बढ़ती दूरी की खबरें हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि कई जमीनी आधार वाले नेताओं की यह दोनों नेता उपेक्षा कर रहे हैं। इस मामले पर सोनिया गांधी ने दखल दिया है और कमलनाथ से बात भी की है। इसके बाद रविवार की रात को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की एक बैठक की भी बात सियासी गलियारों में चर्चाओं में है।
सियासी गलियारों में जोर पकड़ती अनबन की खबरों को दोनों ही नेता अपने-अपने स्तर पर नकार रहे हैं और उनका आरोप है कि यह सब भाजपा से जुड़े लोग फैलाने में लगे हैं। राजनीति के जानकारों की माने तो बीते एक पखवाड़े में कांग्रेस की स्थिति में बदलाव आया है और यही बात पार्टी हाई कमान को चिंता में डाल रही है। कांग्रेस के नेता अति उत्साह में हैं और उनका अति आत्मविश्वास भी है। इसी के चलते कई नेता एक-दूसरे से ऐसा बर्ताव करने लगे हैं, जिसका असर निचले स्तर तक पर है।
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