मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने चार वर्षीय एक बालिका से बलात्कार और उसकी हत्या के लिए एक व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखते हुए कहा है, ‘‘दोषी जैसे व्यक्तियों से मानवता को ज्यादा खतरा है।’’
अदालत ने इस अपराध को ‘‘चरम दुराचारिता’’ का कृत्य बताया और बालिकाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर संज्ञान लिया। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में कड़ी सजा अन्य अपराधियों को इस तरह के कृत्य से रोकेगी।
मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की एक खंडपीठ ने कल कहा,‘‘इस तरह के कड़े निर्णयों से इन अपराधियों को यह संदेश जाता है कि यह एक कमजोर राज्य नहीं है जहां इस तरह के अपराध करने वाले अपराधियों को मानवता की आड़ में राहत मिल सकती है।’’
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मध्य प्रदेश की शहडोल जिले की एक निचली अदालत ने दोषी विनोद उर्फ राहुल चौहदा (22) को यह सजा सुनाई थी। राहुल ने इस सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर थी।
पीठ ने अपील को खारिज करते हुए कहा,‘‘बालिकाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे है इसलिए कड़ी सजा अन्य अपराधियों को इस तरह के अपराधों में संलिप्त होने से रोक सकती है।’’
अभियोजन पक्ष के अनुसार एक बालिका 13 मई 2017 की सुबह घर से गायब हो गयी थी। बच्ची के लापता होने की सूचना उसकी मां ने फोन पर अपने पति को दी थी। उसका पति मजदूरी करने जैतहारी गया हुआ था। शाम को वापस आने पर उसने कोतवाली थाने में बच्ची के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस को जांच के दौरान मकान मालकिन ने बताया कि बच्ची को बिस्कुट और चॉकलेट दिलवाने का लालच देकर विनोद नामक युवक उसे अपने साथ ले गया था।
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इसके बाद पुलिस ने विनोद उर्फ राहुल चौहदा को हिरासत में लिया गया तो उसने बच्ची के साथ दुष्कृत्य कर गला दबाकर हत्या करना स्वीकार किया।
पुलिस ने युवक की निशानदेही पर बच्ची की लाश को एक पेड़ के नीचे से बरामद किया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या,बलात्कार तथा पास्को एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर उसके खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया था। न्यायालय ने 28 फरवरी 2018 को आरोपी को दोषी करार देते हुए हत्या के अपराध में मृत्युदण्ड तथा पास्को एवं बलात्कार के अपराध में आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया था।