यू पी के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी के खिलाफ योगी सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस अधिकारी पर पंजाब की नाभा जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा को घूस लेकर छोड़ने का आरोप लग रहा है। घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए पुलिस अधिकारी ने एक करोड़ रुपये की रकम ली थी. इस मामले की जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जानकारी मिली । तो उन्होंने मंगलवार शाम प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह को तलब किया। योगी सरकार के निर्देश पर प्रमुख सचिव गृह ने एडीजी के नेतृत्व में मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं ।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एक पुलिस महानिरीक्षक पर इस मामले में एक करोड़ रुपये लेकर उसे भगाने में मदद करने का आरोप लग रहा है, हालांकि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिये गये हैं।
उधर, शक के दायरे में आये पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि वह अभी इस मामले में कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकि जांच के आदेश हो गये हैं। उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है और न ही शासन प्रशासन के किसी अधिकारी ने इस बारे में उनसे कुछ कहा है। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि उन पर क्यों उंगली उठायी जा रही है।
इस मामले में गृह विभाग के प्रमुख सचिव अरविन्द कुमार ने अपर पुलिस निदेशक (कानून व्यवस्था) के नेतृत्व में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिये है।
इसी बीच, ऊर्जा मंत्री एवं राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि पूरे मामले की जांच अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) से करायी जा रही है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। सरकार का लक्ष्य जीरो टालरेंस है। एक पुलिस महानिरीक्षक का नाम इस मामले में सामने आने की बात पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अधिकारी चाहे जिस स्तर का हो किसी दोषी को नहीं छोड़ा जायेगा।
गौरतलब है कि पंजाब के पटियाला में नाभा जेल तोडकर भागने की घटना 27 नवंबर 2016 को हुई थी। अपराधियों ने फायरिंग करके बब्बर खालसा ग्रुप के हरमिंदर सिंह मिंटू , विक्की गोंदर, गुरुप्रीत सिंह राखो उर्फ सोनू मुटकी, कुलप्रीत सिंह उर्फ नीता देओल, अमनदीप धोतिया और कश्मीर सिंह को छुड़ा लिया था। इस घटना में पहली गिरफ्तारी सहारनपुर से हुई थी। इसका मास्टर माइंड गोपी घनश्यामपुरा था।