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भविष्य की संभावित महामारियों को ध्यान में रखते हुए WHO में बड़े सुधारों की तत्काल आवश्यकता: भारत सरकार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार को कहा कि भारत का मानना ​​​​है कि भविष्य की संभावित महामारियों के खिलाफ समय से तथा प्रभावी कदम सुनिश्चित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में व्यापक सुधारों की तत्काल आवश्यकता है।

पूरे विश्व में कोरोना वायरस महामारी का कहर जारी है और इस महामारी ने करोड़ों लोगों की जिदंगियों को तबाह कर दिया है। ऐसे में अगर इस महामारी से निपटने के लिए कोई उचित पैमाने पर बढ़िया रणनीति होती तो शायद दुनिया में अभी यह हालात नहीं होते, बल्कि परिस्थितियां काफी हद तक अनुकूल होती।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार को कहा कि भारत का मानना ​​​​है कि भविष्य की संभावित महामारियों के खिलाफ समय से तथा प्रभावी कदम सुनिश्चित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में व्यापक सुधारों की तत्काल आवश्यकता है।
हर्षवर्धन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक को वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न वैश्विक संकट वायरस के लगातार विकसित होने वाले नए स्वरूपों से और गहरा हो गया है। उन्होंने इससे मुकाबला करने के लिए स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं के संबंध में देशों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘इसलिए, यह वांछनीय है कि हम अपने अनुभव, ज्ञान, बेहतरीन चलन के साथ ही नवाचारों का आदान-प्रदान जारी रखें ताकि अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाया जा सके।’’
उन्होंने कहा कि भारत मौजूदा स्थिति का प्रबंधन करने और भविष्य के किसी भी संकट को कम करने के लिए दीर्घकालिक उपाय सुनिश्चित करने के लिए मुख्य क्षमताओं को बढ़ाने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत का भी मानना ​​​​है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन में बड़े सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। हर्षवर्धन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में निवेश को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। 
उन्होंने कहा कि हमें अपने संसाधनों को साझा करके और उन्नत तकनीकी सहायता के साथ सहयोग करके समस्या का हल प्राप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने स्वास्थ्य और आर्थिक मोर्चों पर एससीओ सदस्य देशों को गहरा झटका दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का मानना ​​​​है कि इस मुद्दे पर द्विपक्षीय विचार के अलावा, एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण की भी आवश्यकता है जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की गतिशीलता के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार करेगा। 
बयान के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, भारत अभी जापान के साथ सहयोग कर रहा है और ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ नर्सिंग सेवा विनिमय कार्यक्रम के संबंध में चर्चा कर रहा है।’’ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत ने ‘इंस्टीट्यूट फॉर वन हेल्थ ऑफ इंटरनेशनल स्टैंडर्ड’ की शुरुआत की है, जिसका उपयोग भारत में अंतरराष्ट्रीय केंद्र के लिए किया जा सकता है और यह मौजूदा या संभावित खतरों पर गौर करेगा। उन्होंने कहा कि कोविड टीकों के समय पर वितरण के लिए बड़े पैमाने पर डिजिटल तकनीकों का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने साझेदार देशों को टीके उपलब्ध कराने के लिए ‘टीका मैत्री’ भी शुरू की है।

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