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ममता ने EC से कहा, शाह का रोडशो एक आपराधिक साजिश थी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हाल के रोडशो के संबंध में मुख्य निर्वाचन

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हाल के रोडशो के संबंध में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को शानिवार को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने रोडशो को राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए एक राजनीतिक साजिश करार दिया है। ममता ने अंतिम चरण के मतदान को शांतिपूर्वक संपन्न कराने का अरोड़ा से अनुरोध किया है।

ममता ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त नए पुलिस आयुक्त ने इलाके से धारा 144 हटा कर शाह के रोडशो के लिए अनुमति दी थी।

शाह के रोडशो के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई थी और एक कॉलेज में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को तोड़ दिया गया था। यह कॉलेज विद्यासागर के ही नाम पर है।

पत्र में कहा गया है, ‘यह रोडशो कोलकाता और पश्चिम बंगाल की संस्कृति और विरासत को नष्ट करने की अपने आप में जानबूझकर, इरादतन की गई साजिश थी, और यह पश्चिम बंगाल सरकार तथा यहां के लोगों को बदनाम करने के लिए भी था।’

बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में चुनावी प्रक्रिया के दौरान केंद्र सरकार और केंद्र में सत्तासीन पार्टी के अनुचित प्रभाव के कारण कई सारे अवैध, असंवैधानिक और पक्षपातपूर्ण निर्णय लिए गए।

पत्र में कहा गया है, ‘इसके परिणामस्वरूप न सिर्फ राज्य प्रशासन और उसके अधिकारी, बल्कि राज्य की आम जनता को विभिन्न तरीके से प्रताड़ित किया गया और उस पर हमले किए गए।’

उन्होंने आयोग से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार और केंद्र में सत्तासीन पार्टी के किसी अनुचित हस्तक्षेप के बगैर शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से चुनाव संपन्न कराया जाए।

बनर्जी ने अरोड़ा से यह भी अनुरोध किया है कि वह देश के लोकतांत्रिक संस्थानों और संघीय ढाचे की रक्षा करें और विपक्षी दलों को उचित सम्मान दें।
ममता ने यह भी आरोप लगाया कि आयोग ने दो सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों -अजय वी. नायक और विवेक दुबे- को विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया है, जो कानून सम्मत नहीं है।

उन्होंने पत्र में कहा है, ‘इन दोनों विशेष पर्यवेक्षकों ने पक्षपातपूर्ण रवैया प्रदर्शित किया और हमेशा केंद्र सरकार और केंद्र में सत्तासीन पार्टी के निर्देशों का पालन किया। इन सारे मुद्दों को भारत निर्वाचन आयोग के संज्ञान में लाया गया, लेकिन कोई न्याया नहीं किया गया है।’

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