कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने न्यायपालिका-कॉलेजियम मुद्दे पर लोकसभा में स्थगन नोटिस दिया है। इस मुद्दे पर काफी विवाद हुआ है। तिवारी ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की है।"माननीय मंत्री सहित विभिन्न सरकारी और संवैधानिक पदाधिकारियों द्वारा हाल ही में दिए गए बयानों से सामने आए न्यायपालिका के साथ टकराव पर चर्चा करने के लिए शून्यकाल और प्रश्नकाल और दिन के अन्य व्यवसायों से संबंधित प्रासंगिक नियमों को निलंबित किया जाय।
अदालतें अपनी वैधता खो सकती हैं !
इस तरह के बयान प्रथम दृष्टया हमारे देश की सर्वोच्च न्यायपालिका और सामान्य न्याय प्रणाली में विश्वास को कम करते हैं," उन्होंने कहा। न्यायिक प्रणाली न्यायपालिका की निर्णय लेने की प्रक्रिया में लोगों के विश्वास पर चलती है। यह हमें एक खतरनाक रास्ते पर ले जाती है जहां अदालतें अपनी वैधता खो सकती हैं।
नोटिस में कहा गया है, "इस तरह के परि²श्य में कानून का शासन कभी भी कायम नहीं रह सकता है। विशेष रूप से, इसने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों को प्रभावित किया है।" नोटिस में यह भी कहा गया है कि, "सुप्रीम कोर्ट में सात न्यायाधीशों के पद खाली हैं और विभिन्न उच्च न्यायालयों में 380 से अधिक रिक्तियां हैं।" इसमें कहा गया है, "सरकार को न्यायपालिका के साथ टकराव के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।