केंद्र सरकार और RBI के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने PM मोदी पर हमला करते हुए एक बयान जोरो पर है। उन्होंने अपनी बेटी दमन सिंह की किताब ‘स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन गुरुशरण’ में कहा है कि वित्त मंत्री का दर्जा हमेशा रिजर्व बैंक के गवर्नर से ऊपर होता है। उनका यह भी मानना है कि रिजर्व बैंक का गवर्नर तभी सरकार के खिलाफ होता है जब वह नौकरी छोड़ने का मन बना ले। किताब 2014 में प्रकाशित हुई थी।
उन्होंने अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि जब भी गवर्नर कोई फैसला लेना चाहे तो उसे सरकार को विश्वास में लाना होता है। वह न तो वित्त मंत्री से ऊपर हो सकता है और न ही उनका आदेश टाल सकता है। लेकिन अगर वह नौकरी गंवाना चाहता है तो आदेश को टाल सकता है। उन्होंने 1983 में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान जिस संघर्ष का सामना किया, उसकी बात भी कही। उन्होंने कहा कि स्वायत्ता बैंकों के लाइसेंस देने वाले मामले में उन्होंने इस्तीफा देने के बारे में सोचा था। इंदिरा सरकार के समय की बात बताते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो गई थीं, जिससे उनका टकराव सरकार से हो गया।
उन्होंने सराकर को भी आरबीआई का नजरिया बताया। बाद में सरकार के निर्देश के बाद मामला सुलझ गया। इन दिनों केंद्र की मोदी सरकार और रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के बीच तनाव की खबरें मीडिया में छाई हुई हैं। ऐसी चर्चा भी थी कि सरकार आरबीआई एक्ट का सेक्शन-7 लागू करके इसकी स्वायत्तता पर लगाम लगाना चाहती है। जवाहर लाल नेहरू के समय में भी आरबीआई के चौथे गवर्नर रहे बेनेगल रामा राव और सरकार के बीच मतभेद थे। जिसकी वजह से उन्होंने जनवरी 1957 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
अब स्पष्ट हो चुकी है नोटबंदी तबाही
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के दो साल पूरे होने के मौके पर बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधा और कहा कि अर्थव्यवस्था की तबाही” वाले इस कदम का असर अब स्पष्ट हो चुका है तथा इससे देश का हर व्यक्ति प्रभावित हुआ। सिंह ने एक बयान में भी कहा कि मोदी सरकार को अब ऐसा कोई आर्थिक कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे अर्थव्यवस्था के संदर्भ में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो। उन्होंने कहा, ”नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में त्रुटिपूर्ण ढंग से और सही तरीके से विचार किये बिना नोटबंदी का कदम उठाया था। आज उसके दो साल पूरे हो गए। भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के साथ की गई इस तबाही का असर अब सभी के सामने स्पष्ट है।” सिंह ने कहा, ”नोटबंदी से हर व्यक्ति प्रभावित हुआ, चाहे वह किसी भी उम्र का हो, किसी लैंगिक समूह का हो, किसी धर्म का हो, किसी पेशे का हो। हर किसी पर इसका असर पड़ा।” उन्होंने कहा कि देश के मझोले और छोटे कारोबार अब भी नोटबंदी की मार से उबर नहीं पाए हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत, उन दिनों चल रहे 500 रुपये और एक हजार रुपये के नोट चलन से बाहर हो गए थे।