कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दे पर पार्टी के दो खेमों में नजर आने की स्थिति बनने के बीच पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक सोमवार को आरंभ हो गई। इस मीटिंग में मनमोहन सिंह, प्रियंका गांधी, कैप्टन अमरिंदर सिंह आदि नेता मौजूद हैं।
मिली जानकारी के अनुसार मीटिंग में सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) से उन्हें पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष के पद से मुक्त करने को कहा जिसके जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनसे पद पर बने रहने की अपील की। मनमोहन सिंह और ए के अंटोनी ने पार्टी में सुधार और नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पिछले दिनों लिखे गए पत्र पर नाराजगी जाहिर की।
राहुल गांधी ने पत्र लिखे जाने की टाइमिग को लेकर सवाल उठाए और कहा कि जब सोनिया गांधी अस्पताल में थी तो ये पत्र क्यों लिखा गया। वहीं दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय के बाहर गांधी परिवार से अध्यक्ष बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी की।
इन कार्यकर्ताओं का हाथों में तख्ती लेकर नारेबाजी करना इस बात का संकेत है कि नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर टकराव बढ़ रहा है। इन कार्यकर्ताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के समर्थन में नारेबाजी की। एक कार्यकर्ता ने तख्ती ली हुई थी, जिस पर लिखा हुआ था कि ‘अगर गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष बना तो पार्टी टूट जाएगी।’ कार्यकर्ताओं ने ‘‘गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष मंजूर नहीं’’ के नारे भी लगाए।
बता दें यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हो रही है, जिसके हंगामेदार रहने के आसार हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। सीडब्ल्यूसी की बैठक से एक दिन पहले रविवार को पार्टी में उस वक्त नया सियासी तूफान आया गया जब पूर्णकालिक एवं जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग को लेकर सोनिया गांधी को 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से पत्र लिखे जाने की जानकारी सामने आई।
नेतृत्व के मुद्दे पर पार्टी दो खेमे में बंटी नजर आ रही है। हालांकि, इस पत्र की खबर सामने आने के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ एवं युवा नेताओं ने सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में भरोसा जताया और इस बात पर जोर दिया कि गांधी परिवार ही पार्टी को एकजुट रख सकता है।