वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने दिल्ली में प्रदूषण की समस्या पर सभी पक्षों की चिंता से सहमति जताते हुये कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में सरकार ने हरसंभव उपाय किये हैं तथा प्रदूषण को स्वत:स्फूर्त आंदोलन के जरिये नियंत्रित करना ही समस्या का एकमात्र स्थायी समाधान है। डा. हर्षवर्धन ने आज राज्यसभा में दिल्ली में वायु प्रदूषण के रूंचे स्तर विषय पर अल्पकालिक चर्चा पर जवाब देते हुये कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को स्वयं उसके द्वारा उत्सर्जित किये जाने वाले कार्बनिक तत्वों की खुद निगरानी करना शुरू करना चाहिए। प्रदूषण के खिलाफ जागरुकता के माध्यम से दिल्ली सहित देश भर में व्यापक आंदोलन को तेज करना चाहिये। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत अगर संसद सदस्यों से होगी तो देश की जनता अपनी आदतें बदलने को प्रेरित होगी। व्यक्तिगत तौर पर जीवनशैली में बदलाव के लिये मंत्री ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़वा देने, घरेलू उपकरणों की खरीद में स्टार रेटिंग का ध्यान देने और रूर्जा संरक्षण सहित प्रदूषण नियंत्रण के अन्य उपायों को लागू करने की अपील की।
उन्होंने इस दिशा में किये गये सरकार के उपायों का जिक्र करते हुये कहा कि एक देश एक इ’धन अभियान के तहत इस साल अप्रैल से एक समान मानक का ईंधन प्रयोग में लाया जा रहा है। साथ ही दिल्ली सहित देश में अत्यधिक प्रदूषण वाले स्थानों की पहचान कर इनकी निगरानी, वायु गुणवथा सूचकांक लागू करने और प्रदूषण के मूलभूत कारणों और सेहत पर इसके प्रभाव के अध्ययन के लिये देश के अग्रणी संस्थानों द्वारा शोध कार्य शुरू किया गया है। चर्चा में हिस्सा लेते हुये सपा के नरेश अग्रवाल ने वायु प्रदूषण में देश की राजधानी के जकड़ होने को शर्मनाक बताते हुये कहा कि केद्र सरकार सिर्फ निर्देश देने और दिल्ली सरकार पर नाकामी की तोहमत मढ़ती है। आरोप प्रत्यारोप के कारण ही प्रदूषण बढ़ रहा है। चर्चा में भाजपा के विनय सहस्त्रबुद्धे, अन्नाद्रमुक की नवनीत कृष्णन, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, द्रमुक की कनिमोई, कांग्रेस के राजीव शुक्ला, कांग्रेस की छाया वर्मा और वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी ने भी हिस्सा लेते हुये प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को जमीनी हकीकत में तब्दील करने का सुझाव दिया।