सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को पांच महीने की जेल की सजा पर अदालत ने लगाई रोक

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को पांच महीने की जेल की सजा पर अदालत ने लगाई रोक
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Medha Patkar: राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दी गई पांच महीने की साधारण कारावास की सजा सोमवार को निलंबित कर दिया।
  • सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की पांच महीने की सजा पर दिल्ली की अदालत ने लगाई रोक
  • 23 साल पुराने मामले में दिल्ली के वर्तमान राज्यपाल के खिलाफ मानहानि के मामले में सुनाई गई थी सजा
  • 4 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

गौरतलब हो की पाटकर को यह सजा दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा 23 साल पहले उनके खिलाफ दायर मानहानि के मामले में दी गई थी। उस समय सक्सेना गुजरात के एक गैर सरकारी संगठन के प्रमुख थे।

कोर्ट ने वीके सक्सेना को नोटिस किया जारी

वीके सक्सेना के अधिवक्ता गजिंदर कुमार ने बताया कि पाटकर की अपील पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने सजा निलंबित कर दी और दूसरे पक्ष (उपराज्यपाल) को नोटिस जारी किया। उन्होंने बताया कि अदालत ने पाटकर को 25,000 रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके पर जमानत दे दी।

चार सितंबर को होगी अगली सुनवाई

उपराज्यपाल की ओर से सुनवाई के लिए पेश हुए वकील गजिंदर कुमार ने नोटिस प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि मामले की अगली सुनवाई चार सितंबर को है और इससे पहले जवाब दाखिल करना होगा। अदालत ने एक जुलाई को पाटकर को जेल की सजा सुनाई थी। अदालत ने 24 मई को पाटकर को दोषी करार देते हुए कहा था कि सक्सेना को "कायर" कहना और उन पर "हवाला" लेन-देन में शामिल होने का आरोप लगाना न सिर्फ अपने आप में मानहानिकारक है, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणा को भी उकसाता है।

23 साल पुराना है यह मामला

पाटकर और सक्सेना के बीच वर्ष 2000 से कानूनी लड़ाई जारी है, जब पाटकर ने उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।सक्सेना ने 2001 में पाटकर के खिलाफ एक टेलीविजन चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानिकारक प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के लिए दो मामले दायर किए थे। वह उस वक्त अहमदाबाद स्थित "काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज" नामक एक गैर सरकारी संगठन के प्रमुख थे।

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