किसान आंदोलन बुधवार को सातवें दिन जारी है और आगे की रणनीति बनाने के लिए सिंघू बॉर्डर पर किसान संगठनों के नेताओं की बैठक चल रही है। केंद्र सरकार के साथ हुई वार्ता विफल होने के बाद किसान नेताओं की यह बैठक काफी अहम है क्योंकि इसमें सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर भी वे विचार कर रहे हैं। सरकार ने किसान संगठनों को तीन दिसंबर यानी गुरुवार को फिर वार्ता के लिए बुलाया है।
वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार भी काफी एक्टिव है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल की उपस्थिति में बुधवार को एक बार फिर बैठक हुई। पूर्वाह्न करीब 11.30 बजे शुरू हुई इस बैठक में गृहमंत्री को तोमर और गोयल ने विज्ञान भवन में किसान नेताओं के साथ मंगलवार को हुई बैठक से अवगत कराया। गुरुवार को 30 से अधिक यूनियनों के किसान नेताओं के साथ होने वाली चौथे दौर की वार्ता को लेकर सरकार की रणनीति भी बैठक में तैयार की जाएगी।
शाह, जिन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अंतिम क्षण में मंगलवार की बैठक से दूर रहने का फैसला किया था, कृषि मंत्री तोमर और उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री गोयल के साथ मंगलवार की बैठक के दौरान किसानों संग हुई बातों और मांगों का जायजा लिया। सूत्रों ने कहा कि शाह और उनके सहयोगी मंत्री सरकार की प्रतिक्रिया पर चर्चा करेंगे क्योंकि किसानों ने बैठक में किसान नेताओं द्वारा उठाए गए तीन विवादास्पद केंद्रीय कृषि बिलों और अन्य मुद्दों के अध्ययन और विश्लेषण के लिए एक समिति बनाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
सिंघू बॉर्डर पर चल रही किसानों की इस बैठक में पंजाब के 30 किसान संगठनों के नेता मौजूद हैं। बैठक में जाने से पहले भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों की मांग है कि तीनों नये कृषि कानून को रद्द किया जाए, जबकि सरकार कमेटी बनाकर संशोधन की बात कर रही है। उन्होंने कहा, हमारी तो पहली मांग यही है कि जो नये कानून हैं (तीन कृषि कानून), उनको खत्म किया जाए, लेकिन सरकार कमेटी बनाने की बात करती है, जिसमें पांच सदस्य हमारी और पांच सदस्य उनकी तरह से हो।
बड़ी संख्या में किसान महामाया फ्लाईओवर पर इकट्ठा हुए
नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) के सैकड़ों कार्यकर्ता बुधवार को महामाया फ्लाईओवर पर इकट्ठे हुए, तथा वहां से दोपहर बाद डीएनडी के रास्ते दिल्ली में प्रवेश करने की इनकी योजना है। किसान नेता सुखबीर खलीफा ने बताया कि भारतीय लोक शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्योराज सिंह के नेतृत्व में किसान डीएनडी पुल पर इकट्ठे होंगे, तथा वहां से दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
उन्होंने बताया कि 81 गांव के किसान सुबह महामाया फ्लाईओवर के पास इकट्ठे हुए। उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन किसानों ने पुलिस की एक नहीं सुनी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने महामाया फ्लाईओवर से चलने के बाद किसानों को दलित प्रेरणा स्थल के पास दोबारा से रोक लिया और यहां पर पुलिस और किसानों के बीच नोकझोंक हुई। पुलिस का मानना है कि अगर किसानों ने डीएनडी पर जाम लगा दिया तो, नोएडा और दिल्ली का संपर्क पूरी तरह से टूट जाएगा।
किसान नेता सुखबीर पहलवान ने मांग की है कि केन्द्र सरकार किसानों के उनकी फसल के दाम तय करने का अधिकार दे और जिस तरह से उद्योगपति अपने उत्पाद का दाम तय करता है, उसी तरह से किसान अपने उत्पाद का दाम तय करें। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों को अपनी फसल का दाम तय करने का अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक किसानों की बदहाली खत्म नहीं होगी।
प्रदर्शनकारी किसान ने बताया,”हमारी मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और MSP पर सरकार बात करें। सरकार जल्द से जल्द इस कानून को रद्द करें नहीं तो हम दिल्ली के सारे हाईवे को ज़ाम कर देंगे।” केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की विज्ञान-भवन में हुई बैठक में किसानों की समस्याओं पर चर्चा हुई। इस बैठक में रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे।
भाकियू नेता ने बताया कि बैठक में किसानों की अन्य मांगों पर भी चर्चा हुई और सरकार ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से नये कृषि कानून समेत अन्य मसलों पर सुझाव लिखित रूप में मांगे हैं। उन्होंने कहा कि बुधवार की बैठक में किसान नेता इस पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्रियों के साथ मंगलवार को हुई बैठक के बाद किसान नेताओं को उनके सुझावों और समस्याओं पर चर्चा करने के लिए तीन दिसंबर को बुलाया गया है।
उधर, केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि मंगलवार को हुई वार्ता के बाद किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को फिर तीन दिसंबर को दोपहर 12 बजे चौथे दौर की वार्ता के लिए बुलाया गया है। उनसे नये कृषि अधिनियमों से संबंधित विशिष्ट मुद्दों की पहचान करने और सरकार के साथ इन्हें दो दिसंबर को साझा करने को कहा गया है। सरकार उन मुद्दों पर तीन दिसंबर को विचार करेगी।