देश में कोरोना संकट के बीच प्रवासी मजदूरों पर हो रही सियासत थमने का नाम नहीं ले रही। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को मोदी सरकार पर हमला करते हुए प्रधानमंत्री से सवाल किया कि पीएम केयर्स फंड से प्रवासी मजदूरों को कितना पैसा दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे पर तंज कसा।
कपिल सिब्बल ने कहा, “मैं पीएम मोदी से पूछना चाहता हूं, ‘क्या आप हमें बता सकते हैं कि आपने अपने पीएम केयर फंड से मजदूरों को कितना पैसा दिया?’ मैं उनसे इस सवाल का जवाब देने का अनुरोध करता हूं।” इस दौरान कई लोगों की मौत हुई है। कुछ चलते हुए मर गए, कुछ ट्रेन में मर गए, कुछ भूख से मर गए।
उन्होंने केंद्र के नारे पर तंज कसते हुए कहा कि ‘सांप्रदायिकता का साथ, कुछ का विकास और खो गया विश्वास’। हम एक भारत चाहते हैं और इसके लिए मरते दम तक विरोध करेंगे। घमंड के साथ कभी सरकारें नहीं चलती। यह सरकार घमंड में चूर है, किन्तु यह पता नहीं किसी बात का घमंड है।
मन की बात में PM मोदी ने योग के महत्व का किया जिक्र, बोले- भारत की इस धरोहर को आशा से देख रहा है विश्व
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 24 मार्च से पहले और उसके बाद जो काम कर रही है, उसमें बहुत फर्क है। पिछले वर्ष मई से लेकर इस साल 24 मार्च तक यह सरकार ध्रुवीकरण की राजनीति करती रही और अनुच्छेद 370, राम मंदिर, तीन तलाक तथा एनआरसी जैसे मुद्दों के सहारे राजनीतिक फायदे के लिए काम करती रही लेकिन कोरोना की महामारी के बाद इस सरकार का एजेंडा देश की जनता ने बदल दिया।
उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद सरकार का एजेंडा पीछे छूट गया और यह महामारी दुनिया के अन्य देशों की तरह हमारी सरकार के लिए भी लाचारी बन गयी। मोदी सरकार इससे पहले देश में भाईचारा बिगाड़ रही थी लेकिन महामारी का फैलाव रोकने के लिए उसने जो लॉकडाउन लगाया, उसमें मानवता की सेवा देखने को मिली जिससे बिना किसी भेदभाव के भाईचारे को बढ़ावा मिला।
लॉकडाउन में भेदभाव को दरकिनार कर लोगों ने जिस तरह से एक-दूसरे की मदद की, उसने पूरे देश को जता दिया कि हम सबके लिए भाईचारा ही सबसे महत्वपूर्ण है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार का ध्यान इस महामारी से निपटने में नहीं रहा है। पहले वह सिर्फ अपने एजेंडे पर ही काम करती रही है। यदि सरकार इस दिशा में काम कर रही होती और लॉकडाउन को सोच समझ कर लागू कर दिया होता तो लोगों को दिक्कत नहीं होती।
कोरोना संकट : दिल्ली सरकार ने राजस्व की कमी के कारण केंद्र से मांगी 5000 करोड़ रुपए की मदद
उनका कहना था कि सरकार आज गरीब को खड़ा कर रही है जबकि यह महामारी विदेशों से आई है। उस समय इसे रोकना चाहिए था लेकिन सरकार ने यह काम नहीं किया। कपिल सिब्बल ने कहा कि लॉकडाउन में भुखमरी के कारण 13 मई तक 73 लोगों की जान गयी है जो बहुत ही शर्मनाक है। इस पूरी अवधि में करीब 670 लोगों की लॉकडाउन के कारण मौत हुई है।
उन्होंने 30 हजार लोगों पर किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला दिया जिसके मुताबिक 93 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें राशन नहीं मिला है। इसके साथ 91 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनको रोजगार नहीं दिया गया है। श्रमिक ट्रेन चलाई गयी लेकिन लोगों को भोजन नहीं मिला। इसका मतलब सरकार ने गरीबों के लिए कुछ किया ही नहीं।