देशभर की जेलों में कट्टरवाद को लेकर केंद्र ने राज्यों को सख्त निर्देश दिया है. गृह मंत्रालय ने जेलों में उन कैदियों को अलग रखने को कहा है जो कट्टरवाद विचारधारा के हैं. इनके अलावा नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले कैदियों को भी अलग बैरक में रखने को कहा गया है. यह भी निर्देश दिया गया है कि ऐसे कैदियों को अलग बैरक में रखा जाए जिनका केस अंडरट्रायल है. गृह मंत्रालय ने देशभर की जेल अथॉरिटी से कहा है कि जिन जेलों में 2016 के जेल मैनुअल लागू नहीं किए गए हैं, वहां इसे जल्द लागू किया जाए.
केंद्रशासित प्रदेशों को गृह मंत्रालय ने लिखी चिट्ठी
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चिट्ठी लिखकर कहा है कि कट्टरवाद विचारधारा फैलाने वाले कैदियों को अलग बैरक में रखा जाए. राज्य जेल अधिकारियों को जेलों में डि-रेडिकलाइजेशन सत्र शुरू करने को कहा गया है, जिसमें गुमराह अपराधियों पर खासतौर पर ध्यान देने को कहा गया है, ताकि उनकी नेगेटिव विचारधारा और मानसिकता में बदलाव किया जा सके.
स्मगलिंग के अपराधियों को अलग बैरक में रखें
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि ऐसे कैदियों की पहचान की जाए जो नारकोटिक्स और ड्रग स्मगलिंग केस में जेल में हैं, और उन कैदियों को अलग बैरक में रखें और यह सुनिश्चित करें कि वे किसी दूसरे कैदियों से ना मिलें – ताकि उनके नेगेटिव मानसिकता का असर दूसरों पर न पड़े.
जेल स्टाफ के खाली पदों को भरें
केंद्रीय मंत्रालय ने 2021 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का हवाला देते हुए कहा कि 1102 जेलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा शुरू हो गई है. डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के मुताबिक ई-कोर्ट्स मिशन मोड प्रोजेक्ट के तहत कोर्ट और जेलशाज के बीच 3240 अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा है. एनसीआरबी के हवाले से बताया गया है कि देशभर की जेलों में 28% जेल स्टाफ के पद खाली हैं, कुछ राज्यों में तो यह 40-50% है – मंत्रालय ने इन्हें जल्द भरने का निर्देश दिया है.