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कपिल मिश्रा ने आपराधिक मामलों में झूठी शिकायतों के खिलाफ SC में दाखिल की याचिका

दिल्ली भाजपा के नेता कपिल मिश्रा ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करके केंद्र को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है।

दिल्ली भाजपा के नेता कपिल मिश्रा ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करके केंद्र को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है कि वह आपराधिक मामलों में झूठी शिकायतें दर्ज कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और इस प्रकार के गलत अभियोगों के पीड़ितों के लिए मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश बनाए।
मिश्रा ने यह याचिका बलात्कार के उस सनसनीखेज मामले की पृष्ठभूमि में दायर की है, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 20 साल से जेल में बंद विष्णु तिवारी को निर्दोष करार दिया था और कहा था कि भूमि विवाद के चलते उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। तिवारी को एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत अत्याचार और बलात्कार के मामले में 16 सितंबर, 2000 को गिरफ्तार किया गया था। वकील अश्वनी कुमार दुबे के जरिए दायर जनहित याचिका में गलत तरीके से दोषी ठहराए जाने और झूठे मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के कारण तिवारी को मुआवजा दिए जाने का अनुरोध किया गया है। 
याचिका में कहा गया है, ‘‘केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह फर्जी शिकायत करने वालों के खिलाफ अभियोग चलाने और कड़ी कार्रवाई करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने और गलत तरीके से चलाए गए मुकदमों के पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए दिशानिर्देश बनाए तथा अनुचित तरीके से मुकदमा चलने पर विधि आयोग की रिपोर्ट की सिफारिश लागू करे।’’ भाजपा नेता ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार और विधि आयोग को याचिका में पक्षकार बनाया है। 
याचिका में विशेष कानूनों के तहत आरोपी बनाए गए विचाराधीन कैदियों के मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए तंत्र बनाए जाने और निश्चित अवधि में विचाराधीन कैदियों के मामलों पर फैसला किए जाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाने का अनुरोध किया गया है। इससे पहले, 11 मार्च को भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी न्यायालय में ऐसी ही याचिका दाखिल की थी, जिसमें सरकारी मशीनरी के माध्यम से ‘‘गलत तरीके से अभियोजन’’ के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए दिशा-निर्देश बनाने और उन्हें लागू करने के लिए केंद्र, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। 
इस याचिका में न्यायालय से ‘‘गलत अभियोजनों के पीड़ितों के मुआवजे के लिए दिशा-निर्देश बनाने के लिए अपने पूर्ण संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करने और केंद्र एवं राज्यों को इन्हें लागू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।’’

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