तेलंगाना राष्ट्र समिति TRS और BJP के बीच चुनाव बाद गठबंधन पर एक संभावित सहमति बनती दिख रही है। 2019 लोकसभा चुनाव के रण में उतरने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां कमर कस चुकी हैं। चुनाव में फतह हासिल करने के लिए रोज नए समीकरण बन रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस गठबंधन को और मजबूत करने की तैयारी में हैं। नई पार्टियों को साथ लाने की जद्दोजहद जारी है। बता दें कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक करीब एक घंटे लंबी चली बातचीत में पीएम मोदी और राव ने 2019 लोकसभा चुनाव पर भी चर्चा की। पीएम से बातचीत के बाद राव ने कहा कि अगर चुनाव पूर्व गठबंधन उनकी पार्टी के हित में नहीं होता है तो बीजेपी को जरूरत पड़ने पर चुनाव बाद गठबंधन के सुझाव पर वह तैयार हैं। बता दें कि पिछले दिनों लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी टीडीपी ने खुद को अलग कर लिया था। उधर, टीडीपी के एनडीए से अलग होने के बाद से ही बीजेपी लगातार टीआरएस को साथ लाने की कोशिश में दिख रही है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी पीएम नरेंद्र मोदी ने जहां टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू की आलोचना की वहीं वह टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव की तारीफ करते दिखे थे।
बता दें कि जून में भी चंद्रशेखर राव ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी। ऐसे में 50 दिनों के भीतर पीएम के साथ राव की दूसरी मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में भी दोनों पार्टियों के बीच बढ़ती नजदीकियों की चर्चा तेज हो गई है। उधर, तेलंगाना की तरफ से कई मांगें अभी भी केंद्र में लंबित हैं, हालांकि माना जा रहा है कि सिर्फ इन वजहों से राजनीतिक रिश्ते नहीं बिगड़ते। टीआरएस सरकार में एक मंत्री खुद कहते हैं, ‘हम इन मांगों को केंद्र के सामने लगातार रखते रहेंगे।
अगर हम जो चाहते हैं वह केंद्र से मिलता है तो प्रदेश के हित में होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो हमें पता है कि जिम्मेदार किसे ठहराना है।’ बढ़ती नजदीकियों की अटकलों के बावजूद टीआरएस अभी बीजेपी को खुलकर मैदान देने की तैयारी में नहीं है। यही वजह है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में गठबंधन के सुझाव को पार्टी अस्वीकार कर चुकी है। टीआरएस का मानना है कि बीजेपी के पास तेलंगाना में जीतने लायक उम्मीदवार नहीं हैं। ऐसे में वह विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार न उतारकर बीजेपी विधायकों को मदद कर सकती है। बता दें कि कुछ समय पहले चंद्रशेखर राव गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस फ्रंट की तैयारी में जुटे थे। इसके लिए उन्होंने कई क्षेत्रीय पार्टियों से संपर्क भी साधा था। हालांकि बाद में उनकी यह कोशिश कमजोर पड़ती दिखी। इधर, हाल के दिनों में बीजेपी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ी हैं। टीआरएस सूत्रों के मुताबिक कई क्षेत्रीय पार्टियों के साथ बेहतर संबंध रखने के कारण 2019 में जरूरत पड़ने पर एनडीए के लिए राव मुफीद हो सकते हैं। यही वजह है कि बीजेपी भी राव को साथ रखना चाहती है।