आज (4 दिसंबर) को मिजोरम (Mizoram) में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। जोराम नेशनलिस्ट पार्टी (ZNP) ने मिजो नेशनल फ्रंट को पीछे छोड़ जीत की तरफ लगातार आगे बढ़ रही है। जोराम नेशनलिस्ट पार्टी ने बहुमत के आंकड़े पार कर लिए हैं। इस बीच हैरान करने वाली बात ये है कि जो पार्टी चार साल पहले बनाई गई है उसे इतनी बड़ी सियासत मिल सकती है। बता दें कि लालडुहोमा ने जोराम नेशनलिस्ट पार्टी का गठन किया था। लालडुहोमा पूर्व आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं।
साल 1972 से 1977 तक लालडुहोमा मिजोरम के मुख्यमंत्री के प्रधान सहायक थे। उन्होंने साल 1977 में IPC बनने के बाद गोवा में स्क्वाड लीडर के तौर पर भी काम किया। इस दौरान उन्होंने कई तस्करों पर कार्रवाही की। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने साल 1982 में उन्हें अपना सुरक्षा प्रमुख घोषित किया था। इसके अलावा उन्हें साल 1982 में राजीव गांधी की अध्यक्षता में हुए एशियाई खेलों की आयोजन समिति का सचिव भी घोषित किया गया था।
साल 1984 में IPS के पद से इस्तीफ़ा देने के बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गए और उस साल लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में एंट्री ली। उन्हें 1988 में कांग्रेस की सदस्यता छोड़नी पड़ी क्योंकि दलबदल विरोधी कानून के तहत उन्हें अयोग्य घोषित किया गया था।
लालडुहोमा ने ZPM (Zoram People's Movement) की स्थापना की और 2018 के विधानसभा चुनावों में ZNP के नेतृत्व वाले ZPM गठबंधन के पहले सीएम उम्मीदवार बने। उस समय ZNP को मान्यता नहीं मिल पाई जिसके बाद वो निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे।
कुछ समय बाद जब ZNP को पॉलिटिकल पार्टी का दर्जा मिला तो तो उन्हें पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुना गया। इस आधार पर उन्हें अपनी विधानसभा की सदस्यता को गवाना पड़ा। सदस्यता गंवाने के बाद वो 27 नवंबर 2020 को वो मिजोरम के पहले विधायक बने जिस के पास विधानसभा की सदस्यता नहीं थी।
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