बेंगलुरू : कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी अपनी 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार को बचाने की कवायद के तौर पर गठबंधन नेताओं से बातचीत कर रहे हैं लेकिन मुंबई में डेरा डाले हुए कांग्रेस-जद(एस) के असंतुष्ट विधायकों ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि वह अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे।
कर्नाटक की सत्तारूढ़ जद(एस)-कांग्रेस सरकार शनिवार को गठबंधन के 13 विधायकों के अचानक इस्तीफा देने के बाद संकट में आ गई। इन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपा है और इसके एक दिन बाद दोनों पार्टियों के नेताओं ने सरकार को बचाने के लिए अगले कदम के बारे में लंबी चर्चा की।
दूसरी तरफ विपक्षी दल भाजपा ने कहा कि वह घटनाक्रमों पर नजर रख रही है और उसने संकेत दिए कि पार्टी सरकार बनाने के विकल्पों पर विचार कर रही है।
गौरतलब है कि कांग्रेस-जद (एस) सरकार उस समय संकट में घिर गई जब गठबंधन के 13 विधायकों ने त्यागपत्र दे दिया। इनमें से 12 विधायकों ने शनिवार को ही इस्तीफा दे दिया था।
राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 118 विधायक हैं। अगर इन विधायकों के त्यागपत्रों को स्वीकार कर लिया जाता है तो सरकार अल्पमत में आ सकती है । इस्तीफा देने वाले 13 विधायकों में से 10 मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं।
इस्तीफा देने वाले एक विधायक एस टी सोमशेखर ने मुंबई में कहा, ‘‘हम 10 विधायक यहां हैं, कुल 13 विधायकों ने अध्यक्ष को इस्तीफा सौंप दिया है और राज्यपाल को सूचित कर दिया है। इस्तीफा देने वाले सभी 13 विधायक एक साथ हैं और इस्तीफा वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं है।’’
इस्तीफा देने वाले अन्य विधायकों के साथ पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘तीन और विधायक रामलिंगा रेड्डी, मणिरत्ना और आनंद सिंह कल हमारे साथ आएंगे।’’
कांग्रेस के नेताओं ने उस होटल के बाहर प्रदर्शन किया जहां 10 असंतुष्ट विधायकों को ठहराया गया है। नेताओं ने भाजपा पर अन्य पार्टियों के विधायकों पर लालच देने का आरोप लगाया।
अपने दस विधायकों के त्यागपत्र देने से सकते में आई कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने मंगलवार को एक बैठक बुलाई जिसमें मौजूदा सियासी चुनौतियों और 12 जुलाई से शुरु हो रहे राज्य विधानसभा के सत्र को लेकर विचार विमर्श किया जायेगा।
कांग्रेस विधायकों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी गैरमौजूदगी को ‘‘गंभीरता’’ से लिया जाएगा।
राजनीति के लिहाज से इस बैठक को अहम माना जा रहा है क्योंकि इस तरह की अपुष्ट खबरें आ रही हैं कि आने वाले कुछ दिनों में कुछ और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं।
विधायक दल की बैठक में शामिल होने के बारे में पूछे गए सवाल पर सोमशेखर ने कहा कि उनके ऐसा करने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि वे पहले ही अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं।
यह पूछे जाने पर कि अगर मुख्यमंत्री बदल जाता है तो वे अपना इस्तीफा वापस लेंगे, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘हमने मुख्यमंत्री को बदलने या किसी और को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं कहा है।’’
ऐसी खबरें हैं कि सरकार बचाने के विकल्प के तौर पर मुख्यमंत्री बदला जा सकता है और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
खड़गे ने इसका खंडन करते हुए इसे ‘‘झूठी’’ खबरें बताया जो सिर्फ पार्टी को विभाजित करने के लिए मीडिया द्वारा फैलायी जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसके बारे में मालूम नहीं है और मैं चाहता हूं कि यह गठबंधन सरकार बनी रहे और सुचारू रूप से चले।’’
उन्होंने कहा कि वह विधायकों से इस्तीफा वापस लेने के लिए बात करेंगे। खड़गे ने भाजपा पर देशभर में ‘‘गैर भाजपा’’ निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
ऐसी भी खबरें हैं कि अगर जद(एस) राजी होती है मुख्यमंत्री के लिए सिद्धरमैया के नाम पर विचार किया जा सकता है, इस पर जद(एस) नेता और मंत्री जी टी देवगौड़ा ने कहा, ‘‘अगर समन्वय समिति यह फैसला करती है कि सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री होना चाहिए तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।’’
अमेरिका से शाम को यहां पहुंचे कुमारस्वामी सीधे उस होटल में गए जहां जद(एस) विधायकों की बैठक चल रही थी।
सूत्रों ने बताया कि उन्होंने भाजपा के ‘‘ऑपरेशन’’ के खिलाफ विधायकों को एकजुट रहने के लिए कहा और सरकार को बचाने के तरीकों पर बातचीत की।
उन्होंने बताया कि कुमारस्वामी ने बाद में कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल और सिद्धरमैया समेत विभिन्न कांग्रेस नेताओं से चर्चा की।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ कांग्रेस नेताओं की बैठक में बागी विधायकों को साधने के लिए मंत्रिमंडल फेरबदल समेत सभी विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।
वेणुगोपाल समेत कांग्रेस नेताओं ने सरकार बचाने के लिए कार्य योजना बनाने के वास्ते रविवार को कई बैठके की।
सूत्रों ने बताया कि उन्होंने इस्तीफा देने वाले विधायकों से संपर्क करने तथा उन्हें शांत करने की भी कोशिश की। उन विधायकों से भी संपर्क करने की कोशिश की गई जिनके आने वाले दिनों में इस्तीफा देने की आशंका है।
सिद्धरमैया, उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर, मंत्री डी के शिवकुमार और केपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खांद्रे बैठकों में मौजूद रहे।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान ने राज्य ईकाई के नेताओं से सवाल किया है कि उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में इस्तीफे कैसे होने दिए।
उन्होंने खासतौर से बायरती बासवराज (के आर पुरम), एस टी सोमशेखर (यशवंतपुर) और मणिरत्ना (राजाराजेश्वरनगर) के इस्तीफों के बारे में पूछा है जिन्हें सिद्धरमैया का करीबी माना जाता है।
उधर पार्टी प्रमुख देवेगौड़ा के निवास पर जनता दल (एस) खेमे की बैठकों का सिलसिला बना हुआ है।
सरकार के संकटमोचक माने जाने वाले कांग्रेस के शिवकुमार ने गौड़ा से उनके घर पर मुलाकात करके राजनीतिक हालात के बारे में चर्चा की।
सिद्धरमैया ने आरोप लगाया, ‘‘ यह भाजपा कर रही है। यह उनका धनबल है जो मौजूदा गतिरोध के लिए जिम्मेदार है। भाजपा अपने पाले में विधायकों को शामिल करने के लिए उन्हें लालच दे रही है। वे विधायकों को पैसों की पेशकश कर रहे हैं और मंत्री पद नहीं मिलने की नाराज़गी का दोहन कर रहे हैं।’’
भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दियुरप्पा ने कहा कि पार्टी राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखे हुये है और पार्टी ‘‘संन्यासी’’ नहीं है कि वह सरकार बनाने की संभावना से इंकार कर दें।
मध्यावधि चुनाव की किसी भी संभावना को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव हुए महज 13 महीने हुए हैं और हम चुनाव होने नहीं देंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनको (गठंधन) को अच्छा प्रशासन देने दीजिए। अगर वे नहीं दे सके तो हम 105 विधायकों की संख्या के साथ वहां है। अभी हम राज्यपाल से मुलाकात नहीं करेंगे या दिल्ली नहीं जाएंगे। हम घटनाक्रमों पर नजर रख रहे हैं।’’