तीन तलाक के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने वाले विधेयक के मसौदे पर मोदी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। खबरों के अनुसार संसद के सत्र के बीच हुई इस बैठक में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से राहत देने वाले इस बिल को पास कर दिया गया। इसके बाद अब केंद्र सरकार इस बिल को बहस के लिए संसद के दोनों सदनों में अगले हफ्ते में पेश कर सकती है।
इस बिल को पहले से ही 8 राज्यों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। तीन तलाक जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने इस बिल में अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोलकर तलाक देने की कोशिश करने वाले पतियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रस्ताव किया गया है।
बता दे कि मोदी सरकार ‘मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल’ नाम से इस बिल को लाएगी। कानून बनने के बाद यह सिर्फ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लागू होगा। इस कानून के बाद कोई भी अगर तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा। कानून में तीन तलाक पर तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान हो सकता है।
पीएम मोदी ने पहले ही इसके लिए एक मंत्रियों की एक समिति बनाई थी। जिसमें राजनाथ सिंह , अरुण जेटली , रविशंकर प्रसाद, सुषमा स्वराज , पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार , अभी तक तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं के पास न्याय का कोई रास्ता नहीं है। पीड़ित महिलाएं पुलिस के पास शिकायत लेकर जाती तो हैं लेकिन मामले में दंड का सही प्रवाधान नहीं होने के चलते पुलिस भी कोई ठोस कदम नहीं उठा पाती। इस वजह से केंद्र सरकार मुस्लिम महिलाओं को राहत देने के लिए जल्द से जल्द इस मसले पर नया कानून बनाना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि कानून बनाए जाने के बाद तीन तलाक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध होगा। मेजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा।
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