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PM मोदी ने सत्ता के गलियारे से ‘परिक्रमा संस्कृति’ खत्म कर ‘परिश्रम और परिणाम’ को प्रामाणिक किया : नकवी

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता के गलियारे से ‘परिक्रमा संस्कृति’ को खत्म कर ‘परिश्रम और परिणाम’ को प्रमाणिक बनाया है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता के गलियारे से ‘परिक्रमा संस्कृति’ को खत्म कर ‘परिश्रम और परिणाम’ को प्रमाणिक बनाया है। उन्होंने ‘परिश्रम और परिणाम के संकल्प ने खत्म की परिक्रमा संस्कृति’ शीर्षक वाले ब्लॉग में नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से पिछले छह वर्षों में किए गए कार्यों का विस्तृत उल्लेख किया। 
नकवी ने कहा, ‘‘सत्ता और सियासत के गलियारे में दशकों से परिक्रमा को ही पराक्रम समझने वाले आज परिश्रम और परिणाम की कार्य संस्कृति के चलते हाशिये पर चले गए हैं। मोदी ने सत्ता के गलियारे से परिक्रमा संस्कृति को खत्म कर परिश्रम और परिणाम को प्रमाणिक बनाया है।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘सामंती गुरुर वाली लाल बत्ती इतिहास का हिस्सा बन गई। सांसदों को सब्सिडी “जन्मसिद्ध अधिकार” लगती थी, जो एक झटके में खत्म हुई। मंत्री-सांसद ना रहने के बावजूद कुछ लोगों को सरकारी बंगलों पर कब्ज़ा रखना “संवैधानिक अधिकार” लगता था, उसे खत्म किया गया।’’ 
नकवी के अनुसार, पहले मंत्रालयों का मार्च से पहले बजट को ऊल-जुलूल तरीके से ख़त्म करना सरकार की प्राथमिकता थी जिसके चलते उपयुक्त खर्च का प्रयास नहीं होता था, यह काम चलाऊ दकियानूसी व्यवस्था खत्म हुई। उन्होंने कहा, ‘‘सरकारें बदलती थीं, मंत्री बदलते थे पर वर्षों से मंत्रियों के निजी स्टाफ वही रहते थे, जिसका नतीजा होता था कि सत्ता के गलियारे में घूमने वाले बिचौलिए उस निजी स्टाफ के जरिये बरकरार रहते थे। 10 वर्षों से जमे निजी स्टाफ को मंत्रालय में रखने पर रोक लगाकर प्रधानमंत्री ने पेशेवर बिचौलियों के पर काट दिए।’’ 
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रियों के साथ-साथ अधिकारियों से ‘संवाद संस्कृति’ शुरू की, जिसके चलते नौकरशाही की जवाबदेही-जिम्मेदारी बढ़ी है। पदम् पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मान पहले केवल सियासी सिफारिशों के जरिये दिए जाते थे। आज उन लोगों को यह सम्मान दिया जा रहा है जो वास्तव में इसके हक़दार हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सब बातें हो सकता है छोटी हों, पर ‘परिक्रमा के पराक्रम’ की जगह ‘परिश्रम एवं परिणाम’ की कार्य संस्कृति को पैदा करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई हैं।’’ 
नकवी के अनुसार, कोरोना संकट के समय प्रधानमंत्री की संवेदनशीलता, सक्रियता एवं इस संकट से देश को निजात दिलाने में अग्रिम भूमिका ने देश के लोगों में भरोसा बढ़ाया। भारत जैसे विशाल देश के लिए यह बड़ा संकट का समय रहा, पर देश के लोग इस संकट से कम से कम प्रभावित हों इसका भरपूर प्रबंधन-प्रयास प्रधानमंत्री की ‘परिश्रम-परफॉर्मेंस एवं परिणाम’ की कार्य संस्कृति का जीता-जागता सुबूत हैं। 
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ऐसे कई काम हुए जिनसे भारत की साख पूरे विश्व में बढ़ी। योग को पूरी दुनिया में पहचान मिली; भारत अंतरिक्ष महाशक्ति बना। सऊदी अरब, फिलिस्तीन, रूस, यूएई जैसे देशों ने मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। सर्जिकल और एयर स्ट्राइक हुई; वन रैंक वन पेंशन, स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ लागू हुआ, तीन तलाक, हज सब्सिडी खत्म हुई; अनुच्छेद 370 हटाया गया और राम मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘देश का आर्थिक ताना-बाना आज भी सही दिशा और सही हाथों में है। आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था फिर से मजबूती के मार्ग पर आगे बढ़ेगी।

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