लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

मुफ्त बांटने की राजनीति पर मोदी सरकार की SC में दलील, कहा- ढह जाएगी अर्थव्यवस्था

केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों की ‘स्वतंत्र राजनीति’ के खिलाफ दायर जनहित याचिका का समर्थन किया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि मुफ्त में बांटने से देश की अर्थव्यवस्था बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगी।

केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों की ‘स्वतंत्र राजनीति’ के खिलाफ दायर जनहित याचिका का समर्थन किया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि मुफ्त में बांटने से देश की अर्थव्यवस्था बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगी। यह याचिका अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या आदेश दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले में सभी पक्षों के बीच विचार-विमर्श की जरूरत है क्योंकि यह एक जरूरी मामला है। ऐसे में नीति आयोग, वित्त आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, विधि आयोग और चुनाव आयोग को आपस में इस पर विचार करना चाहिए और अगली सुनवाई पर अपने सुझाव सुप्रीम कोर्ट के सामने रखना चाहिए।
आज सुप्रीम कोर्ट में क्या दलीलें दी गईं?
राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में देने की राजनीति पिछले कुछ वर्षों से आलोचना के केंद्र में रही है। इसी मुद्दे को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से चुनाव से पहले सरकारी फंड से लोगों को मुफ्त चीजें बांटने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग की है। 
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है, ऐसे में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार यह तर्क नहीं दे सकती कि उनके हाथ में कुछ नहीं है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने चुनाव आयोग की टिप्पणी पर कहा कि पार्टियां कहती हैं कि हिंसा नहीं होनी चाहिए, लेकिन यह एक दिखावा है क्योंकि चुनाव से ठीक पहले आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। बाकी 4 साल के लिए जो भी राजनीतिक दल करते हैं। इस मामले पर संसद में चर्चा करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की सलाह पर कोर्ट ने कहा कि आपको क्या लगता है इस पर क्या चर्चा होगी? आजकल हर कोई मुफ्त चाहता है क्योंकि उसे लगता है कि जो पैसा वे दे रहे हैं, उसका इस्तेमाल विकास के लिए नहीं हो रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने दलील दी कि अगर कोई चीज मुफ्त में बांटी जाती है तो पैसा कहीं से आता है। नतीजा यह है कि जो राज्य में इसे मुफ्त में बांट रहा है, उस पर 60 हजार करोड़ का कर्ज है। 
केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वही चुनाव वकील ने कहा कि आयोग पहले ही अदालत में अपना पक्ष रख चुका है। मुफ्त वितरण के मुद्दे को चुनाव आचार संहिता में शामिल किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

15 − six =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।