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मोदी सरकार के चार साल : कहीं कामयाबी, कहीं बौनी सा‌बित हुई सरकार

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मोदी सरकार आज (26 मई) को चार साल पूरे करने जा रही है। इस मौके पर बीजेपी एक नए नारे ‘साफ नीयत, सही विकास’ और ‘मंज़िल आ रही है पास, देश का बढ़ता जाता विश्वास, साफ नीयत, सही विकास’ के नारे के साथ आगामी लोकसभा चुनाव का बिगुल भी फूंकेगी। इस मौके पर जहां मोदी सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने में जुटी है, वहीं कांग्रेस मोदी सरकार की नाकामियों को उजागर करने की कोशिश कर रही है। यही वजह है कि आज जहां बीजेपी और मोदी सरकार अपने 4 साल के कार्यकाल का सफलतापूर्वक जश्न मनाएगी, वहीं कांग्रेस इस दिन को ‘विश्वासघात दिवस’ के रूप में मनाएगी। यानी इस मौके पर सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल चलेगा। मगर इसके इतर बात करें तो मोदी सरकार ने भले ही कई सारे काम किये हों, योजनाओं की शुरुआत की हो, मगर उनकी नाकामियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मोदी सरकार की उपलब्धियों में अगर एक से बढ़कर एक फैसले और योजनाएं शामिल हैं, तो उनकी नाकामियों की फेहरिस्त भी छोटी नहीं है।

तो चलिये एक नजर डालते हैं मोदी सरकार की इन बड़ी कामया‌बियों और नाकामियों पर…

कामया‌बियां

स्वच्छ भारत अभियान

Swach Bharat

यह अभियान 2014 में महात्मा गांधी के जन्मदिन पर शुरू किया गया। स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत केंद्र सरकार का 2019 तक 10 करोड़ शौचालय निर्माण करने का लक्ष्य है। आज से चार साल पहले भारत में सिर्फ 10 में से 4 घरों में शौचालय थे। लेकिन स्वच्छ भारत अभियान लॉन्च करने के बाद 10 घरों में से क‍रीब 6 घरों में शौचालय हैं। अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन लांच करने के बाद से लेकर अब तक करीब 4 करोड़ शौचालय बनाए जा चुके हैं। यही नहीं देश के 434 शहरों एवं नगरों में कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण के अनुसार इसमें हिस्सा लेने वाले 83 प्रतिशत से अधिक लोगों ने बताया कि उनका क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में अधिक स्वच्छ हुआ है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 के अनुसार, 82 प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने स्वच्छता बुनियादी ढांचा और अधिक कूड़ेदान की उपलब्धता और घर-घर जाकर कूड़ा एकत्रित करने जैसी सेवाओं में सुधार के बारे में बताया। पीएम मोदी ने दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन में खुद झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान की गति को बढ़ाया। देश के लोगों को मंत्र देते हुए कहा कि आइए शपथ लेते हैं कि न गंदगी करेंगे और न गंदगी करने देंगे।

सर्जिकल स्ट्राइक

SurgicalStrike

देश में स्वच्छता अभियान पर प्रभावी ढंग से हमला करने के बाद आतंकवाद पर भारत सरकार की नीति और सेना ने जबरदस्त पराक्रम का प्रदर्शन कर ये दिखा दिया कि भारत की रक्षा शक्ति दुनिया के किसी विकसित देश से कम नहीं है। इसके साथ ये भी संदेश दिया कि कड़े फैसले हम भी कर सकते हैं। 28 सितंबर 2016 को दुनिया का आधा हिस्सा सोया था और भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब दे रही थी। करीब आठ घंटे के ऑपरेशन के बाद पाकिस्तानी सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकाने को तबाह कर दिया। सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए ये बता दिया कि भारत पारंपरिक लड़ाई के साथ साथ माडर्न लड़ाई में दुनिया की पेशेवर सेनाओं में से एक है।

विदेश में भारत की प्रतिष्ठा

Modi Forign

भारत कई दशकों तक गुट निरपेक्षता के सिद्धांत पर अपनी विदेश नीति को आगे बढ़ाता रहा है। लेकिन आलोचकों का कहा करते थे कि सही मायनों में भारतीय विदेश नीति रूस के प्रति झुकी रहती थी। 2014 में सरकार में आने के बाद पीएम मोदी के दुनिया के सभी महाद्वीपों का दौरा कर चुके हैं। वो कहा करते थे कि हम पिछलग्गू बन कर नहीं रह सकते हैं। चीन, अमेरिका, रूस औक यूरोप के देश अब भारत को बराबरी के नजरिए से देखते हैं। मोदी सरकार में क्रांतिकारी बदलाव तब सामने आया जब उन्होंने इजराइल और फिलीस्तीन की बारी बारी से यात्रा की। पीएम ने कहा कि अगर तेल के लिए ईरान हमारे लिए महत्वपूर्ण है तो सांस्कृतिक संबंधों के हिसाब से सऊदी अरब भी महत्वपूर्ण है। अगर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इजराइल हमारे लिए महत्वपूर्ण है तो ऐतिहासिक संबंधों के हिसाब से फिलीस्तीन भी महत्वपूर्ण है। योग दिवस
भारतीय योग पद्धति के बारे में कहा जाता है कि ये सिर्फ शरीर को ही नहीं शुद्ध रखती है, बल्कि आत्मा और विचार को भी शुद्ध रखती है। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र सभा की आम सभा ने भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया। दिलचस्प बात ये थी कि इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने किया और बिना किसी मतदान के इसे स्वीकार कर लिया गया।

तीन तलाक

Teen Talak 1

इस्लामिक रीति रिवाज में तीन तलाक के जरिए कोई भी मुस्लिम शख्स अपनी पत्नी से छुटकारा पा सकता है। आम तौर पर ये देखा जाता रहा है कि तीन तलाक के भय में मुस्लिम औरतें भय के साए में जीती रही हैं। इस संबंध में मुस्लिम महिलाओं की तरफ से ये आवाज उठती थी कि इसे समाप्त कर या संशोधित कर महिलाओं को उस दहशत से दूर किया जाए। इस संबंध में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की अपील पर केंद्र सरकार ने अपनी राय रखी। केंद्र सरकार की तरफ से ये दलील दी गई कि आधुनिक भारत में किसी ऐसे व्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती है। जो किसी समुदाय की आधी आबादी को डर के साए में जीने को मजबूर करे। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैरकानूनी ठहराते हुए अवैध करार दिया।

नाका‌मियां

पेट्रोल-डीजल का दाम सातवें आसमान पर

Petrol Price 2

पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम से देश में हाहाकार है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पेट्रोल सबसे महंगा हुआ है। जबकि मोदी सरकार सत्ता में आने से पहले यह कहती रही कि उनकी सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम कांग्रेस की सरकार से भी कम कर देगी। हैरान करने वाली बात ये है कि जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम है, बावजूद इसके भारत में तेल की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं। तेल की कीमतों में किस तरह से आग लगी हुई है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि महाराष्ट्र के परभणी में 26 मई को पेट्रोल 85 रुपये प्रतिलीटर को पार गया। यानी कि मोदी सरकार का महंगाई कम करने का वादा भी सिर्फ वादा ही साबित हुआ।

कश्मीर घाटी में अशांति

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सत्ता में आने से पहले बीजेपी के दो सबसे बड़े हथियार थे कश्मीर मुद्दा और पाकिस्तान. इन दो मुद्दों में से एक कश्मीर घाटी में मोदी सरकार की लगातार कोशिश के बावजूद भी पिछले लंबे समय से जारी आशांति और हिंसक माहौल अब भी जारी है। कांग्रेस की सरकार से अगर तुलना करें तो मोदी सरकार के कार्यकाल में घाटी की हालत बद से बदतर हुई है। लागातार पत्थरबाजी और अशांत माहौल का मोदी सरकार ने सामना किया है। घाटी में शांति कायम करने में मोदी सरकार विफल रही है। यह नाकामी और भी बड़ी इसलिए हो जाती है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन कर बीजेपी सरकार में है, और केंद्र के साथ-साथ राज्य में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी अभी कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी है।

पाकिस्तान पर मोदी सरकार का स्टैंड

Modi Man ki Baat

मोदी सरकार के नेताओं और खुद पीएम मोदी के तेवर पाकिस्तान के प्रति 2014 से पहले काफी सख्त हुआ करते थे। 2014 से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने हर चुनावी भाषण में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की बात की. साथ ही यह वादा किया कि उनकी सरकार बनते ही पाकिस्तान के साथ बॉर्डर पर होने वाले सीजफायर उल्लघंन के मामलों में कमी आएगी, मगर ताजा हालात पर नजर दौड़ाएं तो सीजफायर उल्लंघन के मामले में कोई कमी नहीं आई है। पाकिस्तान की सीमा की ओर से लगातार सीजफायर तोड़े जा रहे हैं। पाकिस्तानी गोलीबारी में न सिर्फ आम नागरिकों की मौत हो रही है, बल्कि हमारे कई जवान भी शहीद हो रहे हैं। हालांकि, मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक कर अपने मंसूबों को जाहिर किया, मगर बावजूद इसके ठोस रणनीति के अभाव में सीमा पर लगातार गोलीबारी और हिंसक घटनाएं बढ़ रही हैं। यह बात भी सही है कि पीएम मोदी ने दोनों देश के बीच के रिश्ते को सुधारने की कोशिशों के क्रम में लाहौर भी गये, मगर उसका नतीजा सिफर ही रहा। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पाकिस्तान के मुद्दे पर मोदी सरकार अपने एजेंडे और वादे से भटक गई है, जो वह 2014 से पहले कहा करती थी।

कालेधन पर सरकार फेल

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याद कीजिए 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले के पीएम मोदी के भाषण को. चुनावी रैलियों में पीएम मोदी का एक भी भाषण ऐसा नहीं होता था, जो बिना कालेधन के जिक्र के संपन्न हो जाए। मगर आज हकीकत सबके सामने है। पीएम मोदी अपने भाषणों में कहा करते थे कि उनकी सरकार जब सत्ता में आएगी तो विदेशों में जमा भारतीय लोगों का कालाधन वो ले आएंगे और यह कालाधन इतना अधिक होगा कि सरकार हर व्यक्ति को 15 -15 लाख रुपये देगी। मोदी सरकार के चार साल पूरे हो गये, मगर अब भी लोगों को इस बात का इंतजार है कि विदेशों से कालाधन कब आएगा और उससे अधिक तो लोगों को इस बात का इंतजार है कि उनके अकाउंट में 15 लाख रुपये कब आएंगे, जिसका वादा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने किया था. इस मामले पर मोदी सरकार की यह सबसे बड़ी नाकामी है कि अभी तक न सरकार को पता है कि विदेशों में कितना कालाधन जमा है और वे कब तक देश में आएंगे।

बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार बैकफुट पर

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अगर मोदी सरकार आज सत्ता में है, और चार साल का सत्ता सुख भोग लिया है, तो उसकी मुख्य वजह बेरोजगारी का मुद्दा, जिसके सफल प्रयोग से बीजेपी ने कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंका। मोदी सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में हर साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया था, मगर रोजगार सृजन के मामले में मोदी सरकार औंधे मुंह गिरी है। यही वजह है कि बेरोजगारी के मुद्दे पर बीजेपी और मोदी सरकार बैकफुट पर नजर आती है। बेरोजगारी के मुद्दे पर जब मोदी सरकार फंसी तो पकौड़े बेचने को भी रोजगार की श्रेणी में ले आई और अपनी उपलब्धि बताने लगी. सच तो यह है कि रोजगार के सृजन का वादा मोदी सरकार नहीं निभा पाई है।

नोटबंदी से कोई फायदा नहीं

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प्रधानमंत्री ने नोटबंदी जैसा ऐतिहासिक फैसला तो लिया, लेकिन इस फैसले का परिणाम सिफर रहा. इस फैसले से न सिर्फ आम लोगों को परेशानी हुई, बल्कि कई जिंदगियां भी इस दौरान काल के गाल में समा गईं. पीएम मोदी ने कालेधन, भ्रष्टाचार पर चोट करने के उद्देश्य से नोटबंदी जैसा बड़ा फैसला लिया। लेकिन न तो कालाधन खत्म हुआ और न ही भ्रष्टाचार में कमी देखने को मिली। नोटबंदी की विफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक भी कह चुका है कि मार्केट में मौजूद पुराने नोट करीब 99 फीसदी वापस आ गये हैं. तो अब इस स्थिति से देखा जाए तो बकौल मोदी सरकार मार्केट फैले में जाली नोटों का क्या हुआ और देश में छुपे कालेधन का क्या हुआ? क्या नोटबंदी से भ्रष्टाचार पर लगाम लगा, क्या इससे देश की अर्थव्यवस्था में कोई बदलाव आया?

भगवान भरोसे नमामि गंगे परियोजना

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प्रधानमंत्री ने काफी उत्सुकता के साथ नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लॉन्च किया और 20,000 करोड़ रुपये का बजट दिया. लक्ष्य 5 साल का रखा गया लेकिन मिनिस्ट्री ऑफ वॉटर रिसोर्सेज के डेटा की मानें तो नमामि गंगे प्रोजेक्ट में काफी धीमी गति से काम हुआ है। 2014 से 17 के आंकड़ों पर गौर करें तो सरकार द्वारा बीते तीन सालों में 12 हजार करोड़ रुपये का बजट देने की बात कही गई, जिसमें से वास्तव में केवल 5378 करोड़ रुपये ही बजट में दिए गए। बजट में जारी 5378 रुपये में से केवल 3633 करोड़ रुपये खर्च के लिए निकाले गए और इसमें से केवल 1836 करोड़ 40 लाख रुपये ही वास्तव में खर्च किए गए। इतना ही नहीं, इस परियोजना की बदतर के मद्देनजर इसके मंत्री का भी पदभार बदल दिया गया।

देश की आंतरिक सुरक्षा भी नहीं सुधरी


मोदी सरकार आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर भी काफी कमजोर साबित हुई है, ये बात अलग है कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले काफी ऊंचे स्वर में कहा कि उनकी सरकार सत्ता में आने के बाद नक्सलियों का सफाया कर देगी, नक्सलवाद का खात्मा कर देगी। मगर छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र में समय-समय पर जिस तरह से नक्सली हमले हो रहे हैं, उसने मोदी सरकार की विफलता को उजागर कर दिया है. बीते साल अप्रैल में छत्तीसगढ़ के सुकमा में एक साथ 25 सीआरपीएफ जवानों शहीद हो गये थे। साल 2010 के बाद यह बड़ा नक्सली हमला था. इतना ही नहीं, समय-समय पर मोदी सरकार के कार्यकाल में लगातार नक्सली हमले होते रहे हैं, जिसमें हमारे जवानों ने अपनी जान गंवाई है।

 

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