संसद ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को गुरूवार को पारित कर दिया। लोकसभा में तीन दिन तक चली चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरूवार को चर्चा का जवाब दिया। इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को मंजूरी दी। बाद में राज्यसभा में प्रधानमंत्री द्वारा उच्च सदन में इस प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब के पश्चात धन्यावाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
राष्ट्रपति के अभिभाषण को 130 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि ‘‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’’ के मंत्र को लेकर सरकार समस्याओं के समाधान के लिए सतत प्रयासरत है।
राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब दे रहे मोदी ने विपक्ष पर, चर्चा के दौरान कोई सकारात्मक सुझाव नहीं देने के लिये कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, ‘‘उच्च सदन से मेरे जैसे नये सदस्यों को मार्गदर्शन की अपेक्षा थी लेकिन मुझे निराशा हाथ लगी। ऐसा लगता है कि आप जहां ठहर गये हैं वहां से आगे बढ़ने का नाम नहीं ले रहे हैं।’’
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान पांच अगस्त 2019 को हटाए जाने के संदर्भ में मोदी ने कहा ‘‘जम्मू कश्मीर और लद्दाख को लेकर जो भी फैसले किये गये, वे व्यापक चर्चा के बाद लिए गए ।’’
उन्होंने कहा ‘‘जम्मू कश्मीर के लिये पांच अगस्त 2019 का दिन काला दिन नहीं था बल्कि आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने वालों के लिये यह दिन काला दिन साबित हुआ है । जम्मू कश्मीर में 18 महीनों में 3.30 लाख घरों को बिजली के कनेक्शन मिले, 3.5 लाख से ज्यादा लोगों को आयुष्मान योजना के तहत गोल्ड कार्ड मिले और 1.5 लाख बुजुर्गों, दिव्यांगों को पेंशन मिली।’’
विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे ‘‘संविधान खतरे में होने के’’ आरोप पर मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस वक्तव्य का स्मरण करना जरूरी है जिसमें उन्होंने कहा था कि तेलंगाना के मुद्दे पर सतत आंदोलन से भारत में लोकतंत्र को खतरा है ।’’
उन्होंने सवाल कि क्या आंध्रप्रदेश के विभाजन से पहले किसी से पूछा गया था? उन्होंने कहा कि सदन में आंध्रप्रदेश पुनर्गठन विधेयक किस तरह पारित किया गया था यह सबको पता है।
मोदी ने पूर्वोत्तर का जिक्र करते हुए कहा ‘‘ पूर्वोत्तर में आज आंदोलन समाप्त हो चुके हैं और पूर्वोत्तर राज्य अब शांति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।’’ पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस और उसके मित्र दलों की सरकार थी, अगर वे चाहते तो ब्रू जनजाति की समस्या का समाधान कर लेते। लेकिन इस उदासीनता का कारण ब्रू जनजाति का वोट सीमित होना था इसलिये उनके असीमित दर्द का समाधान नहीं हो पाया।’’
मोदी ने कहा ‘‘आज देश गर्व कर सकता है कि ब्रू जनजाति के 29 हजार लोगों को सम्मान के साथ जीने का हक मिला है। इसके लिये हुआ बोडो समझौता ऐतिहासिक महत्व का है।’’