प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानि रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ पेश की। प्रधानमंत्री अपने 67 वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित कर रहे है। इस दौरान उन्होंने कारगिल, पाकिस्तान और कोरोना को लेकर चर्चा की। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में युवाओं से अपील की कि वे करगिल युद्ध में सशस्त्र बलों के पराक्रम की कहानियां अन्य लोगों के साथ साझा करें।
इस दौरान उन्होंने कहा “आज कारगिल विजय दिवस’ है । 21 साल पहले आज के ही दिन कारगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था । साथियो, कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो, भारत कभी नहीं भूल सकता ।” उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध के रूप में भारत को धोखा दिया था लेकिन हमारी सेनाओं ने वीरता का प्रदर्शन करते हुए उसके मंसूबों पर पानी फेरा था और पूरी दुनिया इसकी गवाह बनी थी।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मनसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आन्तरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था । भारत तब पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था।” उन्होंने कहा कि “आप कल्पना कर सकते हैं, ऊचें पहाडों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएं, हमारे वीर जवान, लेकिन, जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं, भारत की सेनाओं के हौंसले और सच्ची वीरता की हुई ।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लालकिले से जो कहा था, वो, आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रासंगिक है। अटल जी ने, तब, देश को, गांधी जी के एक मंत्र की याद दिलाई थी। महात्मा गांधी का मंत्र था, कि, यद किसी को कभी कोई दुविधा हो, कि, उसे क्या करना, क्या न करना, तो, उसे भारत के सबसे गरीब और असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए। उसे ये सोचना चाहिए कि जो वो करे जा रहा है, उससे, उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं होगी।
गांधी जी के इस विचार से आगे बढ़कर अटल जी ने कहा था, कि, कारगिल युद्ध ने, हमें एक दूसरा मंत्र दिया है-ये मंत्र था, कि, कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले, हम ये सोचें, कि, क्या हमारा ये कदम, उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इसलिए हमारा आचार, व्यवहार, वाणी, बयान, हमारे लक्ष्य, सभी, कसौटी में ये जरूर रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं, उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े। राष्ट्र सर्वोपरि का मंत्र लिए, एकता के सूत्र में बंधे देशवासी, हमारे सैनिकों की ताकत को कई हजार गुणा बढ़ा देते हैं। हमारे यहां तो कहा गया है न संघे शक्ति कलयुगे।
कोरोना वायरस का खतरा अभी तक खत्म नहीं हुआ है
पीएम मोदी ने कोविड-19 संकट को लेकर कहा कि इसका खतरा अभी तक खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना का खतरा आज भी उतना ही है, जितना पहले था। लोग मास्क को लेकर कोताही नहीं बरतें। उन्होंने कहा कि “जब भी आपको मास्क के कारण परेशानी महसूस होती हो, मन करता हो उतार देना है तो पल-भर के लिए उन डॉक्टरों का का स्मरण कीजिये, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिये। आप देखिये वो मास्क पहनकर के घंटो तक लगातार, हम सबके जीवन को, बचाने के लिए जुटे रहते हैं।”