श्योपुर : यदि किसी विद्यार्थी की अंकसूची में किसी प्रकार की त्रुटि है तो उसे अब न तो लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल जाना पडेगा और न ही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बार-बार चक्कर लगाने पडेंगे,क्योंकि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने संशोधन के लिए ऑन लाइन आवेदन करने का सिस्टम शुरू किया है। खास बात यह है कि संबंधित विद्यार्थी को संशोधित अंकसूची भी स्पीड पोस्ट से घर बैठे मिल जाएगी।
अंकसूची एवं प्रमाण पत्रों में संशोधन के लिए अब विद्यार्थियों को भटकना नहीं पड़ेगा। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने विद्यार्थियों की इस भटकने की समस्या से निजात दिलाने के लिए संशोधन के लिए ऑन लाइन आवेदन करने की व्यवस्था शुरू की है। मंडल द्वारा जारी दस्तावेजों में किसी भी तरह के संशोधन के लिए आवेदन केवल जिला मुख्यालय के एमपी ऑनलाइन कियोस्क के माध्यम से स्वीकार किए जाएंगे।
ऑनलाइन आवेदन के साथ आवेदक मंडल के निर्देशों के अनुरूप सभी जरूरी मूल दस्तावेज 15 दिन के अंदर संबंधित जिले की समन्वयक संस्था में प्रस्तुत करना होगा। समन्वय संस्था द्वारा प्रकरण का निराकरण किया जाएगा। ऑफ लाइन आवेदन किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किए जाएंगे। मूल दस्तावेज प्राप्त होनेपर आवेदन ऑनलाइन स्वीकृत मान्य होगा।स्वीकृत आवेदनों का निराकरण प्राचार्यों को ऑन लाइन ही करना है। स्वीकृत आवेदन मंडल मुख्यालय में ऑनलाइन प्राप्त होंगे।
मंडल मुख्यालय द्वारा दस्तावेज प्रिंट कराकर आवेदक को स्पीड पोस्टसे भेजे जाएंगे। उल्लेखनीय है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने यह व्यवस्था तो कई महीने पहले शुरू की थी, लेकिन इस पर अमल अभी हाल ही में शुरू हुआ है। इस तरह अब विद्यार्थियों को दस्तावेजों में संशोधन के लिए भटकना नहीं पडेगा और उन्हें घर बैठे संशोधित दस्तावेज स्पीड पोस्ट के जरिए प्राप्त हो जाएंगे। इस व्यवस्था से जिले के हजारों विद्यार्थियों को फायदा होगा।
आवेदन की ऑनलाइन ट्रेकिंग भी हो सकेगी ः माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा शुरू की गई नई व्यवस्था के तहत जिस विद्यार्थी ने दस्तावेजों में संशोधन के ऑन लाइन आवेदन किया है,उस आवेदनकी वे ऑन लाइन ट्रेकिंग भी कर सकेंगे। व्यवस्था का पायलट रन स्कूल शिक्षा विभाग ने संभागीय मुख्यालय पर पिछले दिनों से शुरू भी कर दिया है। इस नई व्यवस्था से विद्यार्थियों को संधोधन के लिए अपने गृह जिले में ही सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
पैसे के साथ समय की भी होती थी बर्बादी ः अभी तक विद्यार्थियों को अंकसूची या अन्य किसी दस्तावेज में संशोधन के लिए खासी मशक्कत करनी पडती थी। इसके बाद भी काम हो जाए,इसकी कोई गारंटी नहीं थी। संबंधित छात्र जिला शिक्षा अधिकारी दफ्तर से लेकर माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल तक में चक्कर लगाते रहते थे। इस दौरान वे हजारों रूपए भी खर्च करते थे। फिर भी काम समय पर नहीं होता था,जिससे उन्हें बार-बार चक्कर लगाने पड़ते थे।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।