कोरोना संकट के समय संसद के मानसून सत्र को लेकर बरकरार संशय के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने रविवार को स्पष्ट किया है कि मानसून सत्र जो संविधान के अनुसार होना चाहिए वो जरूर होगा। वहीं शनिवार को संसद के दोनों सदनों के महासचिवों को मानसून सत्र के लिए जरूरी बंदोबस्त करने को कहा गया है।
संसदीय कार्य ने कहा, संसद का मानसून सत्र निश्चित रूप से आयोजित किया जाएगा। सरकार सभी औपचारिकताएं करेगी और सभी सावधानी बरतेंगी। शनिवार को लोकसभा और राज्यसभा के शीर्ष अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है कि दोनों सदनों की बैठक उनके संबंधित चैंबरों से ही संचालित होने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार सांसदों की बैठक व्यवस्था संसद परिसर में विभिन्न स्थानों पर की जाएगी। उन्होंने कहा कि सांसदों के बैठने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार चल रहा है जिनमें दोनों सदनों की लॉबियों और गैलरियों में, सेंट्रल हॉल में और पुस्तकालय भवन के बालयोगी सभागार में बैठक व्यवस्था की जा सकती है। मॉनसून सत्र की तारीख अभी तय नहीं हुई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को कोरोना महामारी के मद्देनजर सत्र आयोजित करने के संबंध में विचार-विमर्श किया। सूत्रों ने बताया कि इस तरह के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है कि दोनों सदनों की बैठक एक साथ चल सके और अलग-अलग दिन नहीं जैसा कि मीडिया के एक वर्ग में दावा किया जा रहा था।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सत्र निश्चित रूप से 22 सितंबर से पहले शुरू होगा क्योंकि संसद के दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का समय अंतराल नहीं हो सकता। संसद का बजट सत्र 23 मार्च को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बजट सत्र तीन अप्रैल तक चलना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे समयपूर्व स्थगित कर दिया गया था।