गंगा मिशन की तर्ज पर सरकार देश के अन्य हिस्सों में भी पांच और नदियों के पुनरुद्धार कार्यक्रम को शुरू करने के प्रयास करेगी। एक वेबिनार को संबोधित करते हुए जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने बताया कि नमामि गंगे मिशन से जो सबक सीखे हैं उन्हें देश में अन्य नदी बेसिन में लागू किया जा रहा है।
गंगा पुनरुद्धार का कार्य देखने वाले नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि जल्द ही गंगा नदी सफाई परियोजना की तरह अन्य नदियां जैसे पेरियार, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा और महानदी का वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाएगा। इसी के साथ उन्होंने आगे कहा कि 'राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय कार्यक्रम को क्रियान्वित कर रहा है। हम गंगा के अनुभव को अन्य नदियों के लिए भी इस्तेमाल करेंगे। बेसिन दृष्टिकोण में बड़ी संख्या में भूभाग शामिल हो जाएंगे।'
उन्होंने कहा कि अध्ययन में इन नदियों की जैव विविधता, उनके किनारों पर कितने शहर और कस्बे मौजूद हैं और उनका सीवेज प्रोफाइल क्या है; इसका अध्ययन करने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा, 'मेरा मंत्रालय न सिर्फ गंगा के बारे चिंतित है.. बल्कि अब वे सारी नदियां हमारे पास हैं जो पहले पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का हिस्सा थीं।' रंजन मिश्रा ने उन कामों को भी गिनाया जिन्हें नदी पुनरुद्धार के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने पूरा किया है।
वहीँ दूसरी ओर गंगा नदी के किनारे ‘नो डवलपमेंट-नो कंस्ट्रक्शन जोन’ में निर्माण या अतिक्रमण करने पर सख्त कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं। एनजीटी के आदेश के बाद सिंचाई विभागाध्यक्ष ने बिजनौर से उन्नाव-कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारों पर स्थित भूमि के लिए यह अधिसूचना जारी कर दी। इसी के साथ एनजीटी ने संबंधित निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के भी निर्देश दिए है।
सिंचाई विभाग के अनुसार, बिजनौर से उन्नाव-कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारों से 100 मीटर तक किसी भी प्रकार के निर्माण, अतिक्रमण, व्यावसायिक गतिविधियां, पट्टे, नीलामी और प्रदूषण करने वाली सभी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए इस क्षेत्र को नो डवलपमेंट-नो कंस्ट्रक्शन जोन में अधिसूचित किया गया था। इसके तहत उत्तर प्रदेश की सीमा के अंतर्गत बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कांशीराम नगर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव एवं कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारे शामिल होंगे।
केंद्रीय जल आयोग की तरफ से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में दी गई अंतिम रिपोर्ट के आधार पर कहा गया है कि इस जोन में अस्थायी निर्माण राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की पूर्व अनुमति के बाद ही हो सकेगा। इसके तहत दैविक-प्राकृतिक आपदा या धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों के लिए अस्थायी निर्माण से सम्बंधित गतिविधियों की ही अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा निर्धारित नियमों के तहत नियंत्रित बालू, पत्थर, बजरी और नदी किनारे के पदार्थों का खनन किया जा सकेगा। साथ ही जिला प्रशासन की पूर्व अनुमति से संरक्षित स्मारक, मंदिर, बोरिंग, श्मशान घाट की मरम्मत, रिवर वाटर-वे की डिसिल्टिंग और क्षतिग्रस्त बांधों की मरम्मत एवं रख-रखाव का कार्य किया जा सकेगा। वहीँ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा चिह्नित किये गए रेड जोन के उद्योग प्रतिबंधित रहेंगे