हरियाणा में पांच बार विधायक और दो बार राज्यसभा सदस्य और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके चौधरी वीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस का हाथ थामने का फैसला किया है। वह 43 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद 2014 में भाजपा में आए थे। उन्होंने कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से मुलाकात की है।
बृजेंद्र सिंह पहले ही थाम चुके हैं कांग्रेस का हाथ
उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपना इस्तीफा भेज दिया है। वह मंगलवार को कग्रेस में शामिल होंगे। उनके बेटे बृजेंद्र सिंह पहले ही कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह ने सोमवार को भाजपा को अलविदा कह दिया।
चौधरी वीरेंद्र सिंह की पत्नी एवं पूर्व विधायक प्रेमलता ने भी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। बेटे बृजेंद्र सिंह 2019 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते थे। वह मौजूदा समय में हिसार से सांसद हैं। 2019 में बृजेंद्र सिंह ने आईएएस की नौकरी छोड़कर सियासत में कदम रखा था।
वीरेंद्र सिंह का भाजपा छोड़ना हरियाणा में भाजपा के लिए बड़ा झटका
वीरेंद्र सिंह का भाजपा छोड़ना हरियाणा में भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वह उचाना से पांच बार जीतकर विधायक बन चुके हैं। वह 1977 से 82, 1982 से 84 1991 से 1996, 1996 से 2000 तथा 2005 से 2009 तक विधायक रहे। तीन बार वह कैबिनेट मंत्री भी बने। उन्होंने तीन बार सांसद के रूप में भी कार्य किया। पिछली केंद्र सरकार में वह केंद्र में मंत्री भी रहे।