17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सांसदों को सरकारी आवास की सुविधा मिलने तक वेस्टर्न कोर्ट के जनपथ स्थित नए हॉस्टल में बने एनेक्सी कमरे में ठहराए गए है। साथ ही 82 सांसदों को कड़े निर्देश दिए गए है कि वे न तो अपने कमरे में खाना खाएंंगे और न ही खाना बनाएंगे,और यदि उन्हें भूख लगती है तो व सीधे हॉस्टल की कैंटीन में जाए।
इस हॉस्टल में सांसदों को रूम सर्विस की सुविधा नहीं उपलब्ध करवाई गयी है। संसद के द्वारा सरकारी आवास मिलने तक वेस्टर्न कोर्ट के नए बने हॉस्टल में ठहराए गए सांसदों के लिए अस्थाई सुविधा हैं।
एनेक्सी प्रबंधन द्वारा दिये गए निर्देश यह है कि न ही सांसद अपने कमरे में किसी से खाना बनवा सकते हैं और न ही कैंटीन से चाय-पानी मंगा सकते हैं, और यदि उन्हें भूख लगती है तो उन्हें आम जनता की तरह वेस्टर्न कोर्ट एनेक्सी की कैंटीन में ही जाना होगा। निर्देश में यह भी लिखा है यदि कोई बीमार है या कोई अन्य वजह है तो विशेष परिस्थितियों में ही कैंटीन का स्टाफ रूम तक लंच-डिनर उपलब्ध करवाएगा।
एनेक्सी वेस्टर्न कोर्ट के प्रबंधन ने दिशा-निर्देश का पालन करते हुए कैंटीन संचालक को भी निर्देश दिए हैं कि सांसद कोई भी किसी भी पार्टी का हो किसी भी प्रकार के सांसदों के रौब में आकर उनके कहने से रूम में खाने-पीने का कोई सामान न पहुंचाया जाए। राष्ट्रपति रामनाथ गोविन्द की तस्वीर के नीचे ही वेस्टर्न कोर्ट की नई बिल्डिंग के रिसेप्शन पर एक नोटिस भी लगाया गया। सांसदों को यहां ठहरने के चार्जेज के अलावा स्पष्ट दिशा -निर्देश के तौर पर लिखा है- कमरों के अंदर खाना बनाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
इस हॉस्टल का पुनःनिर्माण चार अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करवाया था। यहां पहली बार चुनकर आए सांसदों के रहने की अस्थाई व्यवस्था की गई है। सरकारी आवास की सुविधा मिलने के बाद ही सांसद यहां शिफ्ट होंगे। वर्तमान लोकसभा के 82 नए सांसद वेस्टर्न कोर्ट के नए बने आलीशान भवन के कमरों में अस्थायी रुप से रह रहे हैं।
वेस्टर्न कोर्ट एनेक्सी में रहने के लिए सांसदों या उनके गेस्ट को शुल्क भी चुकाना पड़ता है। जिसके स्थायी चार्ज का मूल्य रिसेप्शन के नोटिस बोर्ड पर चिपकाया गया है। स्थायी भवन के अभाव में सांसदों के रहने की व्यवस्था यहां होती है। ऐसे में उनका खर्च सरकार उठाती है,मगर अन्य खर्चे जैसे खाने-पीने का खर्च उन्हें अपनी जेब से ही भरना पड़ता है।
वेस्टर्न कोर्ट के नए हॉस्टल में एक से तीन दिन तक दो सदस्यों के रहने पर दो हजार रुपये प्रतिदिन का चार्ज लगता है, चार से सात दिन के लिए तीन हजार रुपये प्रतिदिन देना पडता है।
होटल के महंगे खर्च से बचाने के लिए बना हॉस्टल
2014 का जब लोकसभा चुनाव हुआ था तो 300 से ज्यादा नए सांसद चुने गए थे। इस दौरान आवास की समस्या खड़ी हो गई थी। जिसकी वजह यह थी कि ज्यादातर पिछली सरकार के सांसदों ने घर खाली ही नहीं किए थे। जिसके बाद नए सांसदों को नई दिल्ली के महंगे होटलों में ठहराना पड़ा था और उनका अत्यधिक खर्च भी बढ़ता चला गया।
कई सांसद निर्धारित से ज्यादा दिन तक पांच सितारा होटलों में ठिकाना बनाए रखे। जिस पर 30 करोड़ से अधिक रुपये खर्च हुए थे। जिसके बाद मोदी सरकार ने नए सांसदों के अस्थाई निवास के लिए जनपथ स्थित वेस्टर्न कोर्ट के पिछले हिस्से में 88 नए ब्लॉक बनाने की योजना पर काम शुरू किया था जिसका अब नवनिर्वाचित सांसद लाभ ले सकते हैं।