जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) के अध्यक्ष अरशद मदनी ने सभी गैर-मुसलमानों से अपनी बेटियों को अश्लीलता से बचाने के लिए सह-शिक्षा स्कूलों (को-एड स्कूल) में नहीं भेजने की अपील की है। उनकी इस अपील पर केंद्रीय मंत्री केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि देश ऐसे मानसिकता को स्वीकार नहीं करेगा।
केंद्रीय मंत्री ने मंगलवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, देश संविधान से चलता है, शरियत से नहीं। जो शरियत का डंडा चलाकर संविधान की मूल भावना पर हमला करने की कोशिश करते हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसी मानसिकता देश स्वीकार नहीं करेगा।
जेयूएच के अध्यक्ष अरशद मदनी ने सोमवार को कहा, “अनैतिकता और अश्लीलता किसी धर्म की शिक्षा नहीं है। दुनिया के हर धर्म में इसकी निंदा की गई है, क्योंकि यही चीजें हैं जो देश में दुर्व्यवहार फैलाती हैं। इसलिए, हम अपने गैर-मुस्लिम भाइयों से भी कहेंगे कि वे अपनी बेटियों को अनैतिकता और दुर्व्यवहार से दूर रखने के लिए सह-शिक्षा देने से परहेज करें और उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित करें।”
मदनी ने कहा कि आज की स्थिति में लोगों को अच्छे मदरसों और उच्च धर्मनिरपेक्ष शिक्षण संस्थानों की जरूरत है, जिसमें बच्चों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान किए जा सकें। मदनी ने कहा कि मुसलमानों को अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर उच्च शिक्षा से लैस करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें ऐसे स्कूलों और कॉलेजों की सख्त जरूरत है, जहां हमारे बच्चे, खासकर लड़कियां बिना किसी बाधा या भेदभाव के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।”