केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने देश में वर्षों तक लागू रही हज सब्सिडी को एक राजनीतिक छल करार दिया। लोकसभा में बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली और कांग्रेस सदस्य अब्दुल खालिक के पूरक प्रश्नों के जा लिखत में जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने यह टिप्पणी की।
लोकसभा में बोलते हुए नकवी ने कहा, ‘‘हज सब्सिडी एक राजनीति छल थी जो बहुत लंबे समय से चली आ रही थी। सब्सिडी रहने के समय जब कोई व्यक्ति श्रीनगर से हज यात्रा पर जाता था तो उसे 1.97 लाख रुपये देना पड़ता था, लेकिन सब्सिडी खत्म करने के बाद हज यात्री को अब 86 हजार रुपये देना पड़ता है। इसी तरह दूसरे शहरों से जाने में भी भी किराये और दूसरे खर्चों में कमी आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की नेकनीयत का नतीजा है।’’
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उन्होंने सदन को बताया कि हज सब्सिडी खत्म करने से किराया बढ़ा नहीं, बल्कि घटा है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछले दो साल से हज यात्रा नहीं हुई है। इस बार भी सऊदी अरब सरकार के प्रोटोकॉल और दिशा-निर्देश के मुताबिक कोई कदम उठाया जाएगा।’’
नकवी ने हज यात्रियों के ‘प्रस्थान स्थलों’ (इम्बार्केशन प्वाइंट्स) की संख्या बढ़ाने के सवाल पर कहा कि सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय समझौते के मुताबिक ही आगे कोई कदम उठाया जाएगा। भारतीय हज समिति के पुनर्गठन के सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे जुड़ा विषय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए वह फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।