लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

यूनिफॉर्म सिविल कोड से मुस्लिम समुदाय को लाभ, मजहबी संगठनों के बहकावे से उत्पन्न होता विरोध, पढ़े रिपोर्ट

चुनावी राज्य गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को सरकार बनने के उपरांत लागू करने का वादा किया है। इस ऐलान के बाद से ही सियासत गर्मा गई है।

चुनावी राज्य गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को सरकार बनने के उपरांत लागू करने का वादा किया है। इस ऐलान के बाद से ही सियासत गर्मा गई है। सभी को समान अधिकार देने वाले यूनिफॉर्म सिविल कोड से एक खास वर्ग को तकलीफ है। UCC के बारे में तरह-तरह के भ्रम फैलाकर कुछ मजहबी संगठन और सियासी दल माहौल बिगाड़ने में जुटे हुए है। आपको बता दे कि समान नागरिक संहिता किसी धर्म या मजहब के खिलाफ नहीं है। 
मुसलमानों में UCC को इस तरीके से सियासी दलों ने पेश किया है कि वह बिना कुछ सोचे-समझे ही इसका विरोध करने लगते है। हालांकि यूनिफॉर्म सिविल कोड से अगर किसी को सबसे अधिक फायदा होगा तो वह मुस्लिम महिलाएं है। आज अगर किसी मुस्लिम व्यक्ति की पहली पत्नी से बस बेटियां है तो वह बेटे की चाहत में दूसरा निकाह कर लेता है। तर्क यह भी दिए जाते है कि वह बेटा गोद ले सकता है। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार वह गोद लिए बच्चे के नाम अपनी पूरी सम्पत्ति नहीं कर सकता है। इस वजह से ही मुसलमानों में गोद लेने के मामले कम होते है। 
अगर समान नागरिक संहिता लागू होती है तो मुसलमानों को गोद लिए बच्चे के नाम अपनी पूरी सम्पत्ति  करने का अधिकार मिल जाएगा और बहुविवाह जैसी घटनाओं से प्रताड़ित होती मुस्लिम महिलाएं बच जाएंगी। दूसरा फायदा तलाक की प्रक्रिया सबके लिए समान हो जाएगी। हिन्दू समुदाय में अगर शादी तोड़नी होती है तो पति-पत्नी को अदालत का रूख करना पड़ता है। लेकिन मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक जैसी कुप्रथा को सरकार द्वारा अवैध करार दिए जाने के बावजूद कई तरह से अब भी हो रहे है। बिना कोर्ट जाए घर पर ही वह मौखिक रूप से तलाक ले लेते है। अगर UCC लागू होता है तो सभी के लिए तलाक लेने की प्रक्रिया भी समान हो जाएगी।      
खुद का बेहतर नहीं सोच पाता मुस्लिम समुदाय 
आपको बता दे कि हिन्दुओं में पति-पत्नी या बेटा-बेटियों में सम्पत्ति के मामले में भेदभाव नहीं है। लेकिन मुस्लिम समुदाय में पत्नियों को पति के बराबर सम्पत्ति के मामले में दर्जा नहीं दिया जाता है। कुल मिलाकर देखे तो समान नागरिक संहिता से मुस्लिम महिलाओं का सशक्तिकरण होगा। मजहबी संगठनों के बहकावे में आकर मुस्लिम समुदाय खुद का बेहतर नहीं सोच पाता। इस तरह के मसलों पर यह संगठन इसलिए एक्टिव हो जाते है क्योंकि उन्हें अपने अस्तित्व पर खतरा महसूस होने लगता है। गुजरात में UCC के लागू होने से पहले ही असदुद्दीन ओवैसी ने इसके विरोध का बिगुल फूंक दिया है। देश के कुछ तथाकथित सेक्युलर दल भी समान नागरिक संहिता का विरोध संविधान का हवाला देते हुए करते है। उनका कहना है कि संविधान में सभी को अपने धर्म को मानने का अधिकार है। इस तरह की राजनीति में मुख्य रूप से मुस्लिम महिलाएं प्रताड़ित हो रही है।     

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 × 5 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।