पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस. वाई. कुरैशी और दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग समेत मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह ने हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की और देश में सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने की योजना तैयार की। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर अदालतों में सुनवाई हो रही है। बैठक में देश में सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए एक मंच बनाने का निर्णय लिया गया है।
सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, और परोपकारी सईद शेरवानी भी हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अस्थायी कार्यालय उदासीन आश्रम में बंद कमरे में हुई बैठक में मौजूद थे।
सूत्रों ने कहा कि दो घंटे तक चली बैठक के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत बनाने और अंतर-सामुदायिक संबंधों में सुधार पर व्यापक चर्चा हुई।
हालांकि,उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद और नूपुर शर्मा की हालिया टिप्पणियों से उपजे विवाद जैसे किसी विवादास्पद मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई।
बैठक में मौजूद सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि भागवत और बुद्धिजीवियों के समूह ने सहमति व्यक्त की कि समुदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव व सुलह को मजबूत किए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता।
सूत्रों ने कहा, “दोनों पक्षों ने सांप्रदायिक सद्भाव व समुदायों के बीच मतभेदों को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए एक योजना तैयार की गई।”
सूत्रों ने कहा कि देश के समग्र कल्याण के लिए गांधीवादी दृष्टिकोण का पालन करने पर भी चर्चा हुई।
सितंबर 2019 में, भागवत ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से यहां आरएसएस कार्यालय में मुलाकात की थी। बैठक के दौरान उन्होंने हिंदुओं व मुसलमानों के बीच एकता को मजबूत करने तथा ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाओं समेत कई मुद्दों पर चर्चा की थी।
बैठकों का समन्वय आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व संगठन सचिव रामलाल ने किया।