मद्रास हाई कोर्ट ने सारदा चिटफंट घोटाला मामले में धनशोधन जांच के सिलसिले में बतौर गवाह पेशी के लिए प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) से मिले समन को चुनौती देने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम की याचिका आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम ने नलिनी की यह दलील अस्वीकार कर दी कि जांच के वास्ते महिलाओं को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत उसके निवास स्थान से बाहर नहीं बुलाया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि ऐसी छूट अनिवार्य नहीं है और वह किसी भी मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम ने नलिनी की याचिका पर 145 पन्नों के अपने फैसले में कहा , “यह अदालत मानती है कि लिंग के आधार पर नियमित तरीके से छूट नहीं मांगी जा सकती है।”
अदालत ने पहले लगाई गई रोक हटाने के लिये प्रवर्तन निदेशालय के आवेदन पर यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम ने प्रवर्तन निदेशालय को जांच के लिये नयी तारीख निर्धारित करते हुये नया समन जारी करने और कानून के अनुसार कार्यवाही करने का निर्देश दिया। इससे पहले, निदेशालय ने सात सितंबर ,2016 को समन जारी कर वरिष्ठ अधिवक्ता नलिनी चिदंबरम को सारदा चिटफंड घोटाले के सिलसिले में अपने कोलकाता कार्यालय में पेश होने के लिये कहा था।
नलिनी को टेलीविन चैनल खरीद सौदे के संदर्भ में अदालत और कंपनी विधि बोर्ड के समक्ष पेश होने के लिए सारदा ग्रुप से एक करोड़ रुपये की कानूनी फीस कथित रुप से मिली थी। हाई कोर्ट ने नलिनी की याचिका पर 21 सितंबर , 2016 को अंतरिम आदेश के माध्यम से निदेशालय के समन पर रोक लगा दी थी।
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