प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर विज्ञान भवन में राष्ट्रीय रसद नीति का शुभारंभ करने वाले हैं। रसद नीति का उद्देश्य रसद लागत को कम करना और वैश्विक बाजार में घरेलू सामानों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना है। राष्ट्रीय रसद नीति के लागू होने से देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। रसद नीति का उद्देश्य देश भर में माल के परिवहन को आसान बनाना है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 13 सितंबर को यह जानकारी दी।
वास्तव में, भारत लॉजिस्टिक्स पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 13 से 14 प्रतिशत खर्च करता है। जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग आठ से नौ प्रतिशत रसद लागत पर खर्च करते हैं। ये देश अपने विकसित लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में भारत का लक्ष्य लॉजिस्टिक्स को किफायती बनाकर जीडीपी के खर्च को कम करना है।
रसद क्षेत्र में 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 सहयोगी सरकारी एजेंसियां (पीजीए), 37 निर्यात संवर्धन परिषदें, 500 प्रमाणन, 10,000 से अधिक वस्तुएं हैं। यह करीब 160 अरब डॉलर का बाजार है। विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स इंडेक्स 2018 के अनुसार, भारत रसद लागत में 44वें स्थान पर है। जो अमेरिका और चीन जैसे देशों से बहुत पीछे है। ये देश क्रमश: 14वें और 26वें स्थान पर हैं।